पटना, 30 सितंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने निगरानी विभाग औऱ शिक्षा विभाग के नियोजित शिक्षकों के आंकड़े में भारी अंतर पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा है कि यह चिंताजनक और नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े का नमूना है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार की कार्यप्रणाली की हकीकत पेश कर रहा है। सिन्हा ने कहा कि शिक्षक बहाली फर्जीवाड़े की जांच 8 साल से चल रही है। निगरानी जांच में फोल्डर नहीं मिलने वाले शिक्षकों की संख्या 73091 पाई गई, जबकि शिक्षा विभाग द्वारा यह संख्या 57647 वताई जा रही है। इस अंतर के कारण शिक्षकों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल रहा है।
उन्होंने कहा कि बड़े भाई (लालू प्रसाद) औऱ छोटे भाई (नीतीश कुमार) के द्वारा ही पिछले 33 वर्षों से शिक्षा विभाग को चलाया जा रहा है। उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में वर्ष 2006 से 2015 तक के नियोजित प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक और पुस्तकालय अध्यक्ष के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक अंक पत्रों औऱ प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है। 6 अक्टूबर को उच्च न्यायालय में सुनवाई निर्धारित है।
सिन्हा ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निगरानी जांच में 15,444 शिक्षकों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस विरोधाभास के कारण विभाग द्वारा दो दिनों में जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। अप्राप्त फ़ोल्डरों सहित अन्य सूचनाओं की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि निगरानी इस जांच को अंतिम रूप से पूरा कर इसके फलाफल से राज्य की जनता को भी अवगत कराए।
–आईएएनएस
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