नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत के आपराधिक इतिहास में 27 नवंबर, 2016 एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज है, जिसने दूरगामी परिणामों को जन्म दिया। उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन, गैंगस्टरों के एक समूह ने, पुलिसकर्मियों के भेष में, पंजाब की उच्च सुरक्षा वाली नाभा जेल पर धावा बोल दिया था।
इसके बाद जो कुछ भी सामने आया, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
इस दौरान हमलावरों ने जेल के सुरक्षा गार्डों पर गोलियां चलाईं, और कुख्यात गैंगस्टरों व एक खालिस्तान विचारक सहित छह कैदियों को मुक्त करा लिया।
भागने वालों में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का प्रमुख हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटू और खालिस्तान विचारक कश्मीर सिंह गलवंडी भी शामिल था।
जहां मिंटू की हिरासत में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, वहीं गैंगस्टर विक्की गौंडर जनवरी 2017 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। इसके बाद गुरप्रीत सिंह सेखों, नीता देयोल और अमनदीप धोतियां को गिरफ्तार कर लिया गया। फिर भी, इस पलायन के दुष्परिणाम भारत के सुरक्षा परिदृश्य पर पड़ रहे हैं।
नाभा जेलब्रेक की असली साज़िश राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके गहरे प्रभाव में निहित है। इस घटना ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का ध्यान आकर्षित किया, जो इन अपराधियों द्वारा अपने खतरनाक उद्देश्यों के लिए फायदा उठाने की कोशिश कर रही थी।
आईएसआई ने इन अपराधियों तक पहुंच बनाई और देश के भीतर कलह और अशांति भड़काने की अपनी नापाक योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए धन और हथियार जैसे प्रोत्साहन की पेशकश की।
सूत्रों ने खुलासा किया, “2017 के बाद से, आईएसआई ने गैंगस्टरों की भर्ती और उनसे संपर्क करना शुरू कर दिया। उनकी पहली भर्ती गैंगस्टर हरविंदर सिंह संधू थी, जिसे रिंदा के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में पाकिस्तान में शरण दी गई थी। रिंदा अपनी निडर गतिविधियों के कारण आईएसआई के ध्यान में आया।”
पंजाब के तरनतारन जिले के रत्तोके गांव के रहने वाले रिंदा का एक गैंगस्टर से आतंकवादी में परिवर्तन हिंसा और आपराधिकता द्वारा चिह्नित किया गया था। उसके आपराधिक रिकॉर्ड में हत्या, जबरन वसूली, नशीले पदार्थों की तस्करी और सीमा पार हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में शामिल होना शामिल है।
रिंदा ने देश के भीतर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पंजाब और हरियाणा से प्रभावशाली युवाओं की भर्ती की।
रिंदा 2020 में नकली पासपोर्ट का उपयोग करके नेपाल के रास्ते भारत से भाग गया। अंततः उसे पाकिस्तान में शरण मिल गई, जहां उसने लॉरेंस बिश्नोई के साथ गठबंधन बनाया और हथियारों की तस्करी और पंजाब में हमलों की साजिश रचनी शुरू कर दी।
उनकी खौफनाक योजना में राज्य में अशांति फैलाने और खालिस्तानी आंदोलन को भड़काने के साधन के रूप में पंजाबी गायक शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला को निशाना बनाना भी शामिल था, जो बंबीहा गिरोह से अपने संबंधों के लिए जाना जाता है।
हालांकि इस भयावह साजिश का उद्देश्य धार्मिक संघर्ष की आड़ में अशांति पैदा करना था, लेकिन हत्या की साजिश में कई आरोपियों की गिरफ्तारी और खुफिया एजेंसियों की जांच से अंततः इसे विफल कर दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षण के कारण बंबीहा गिरोह और रिंदा-बिश्नोई गठबंधन के बीच झड़पें हुईं, जिससे पाकिस्तान की आईएसआई का ध्यान आकर्षित हुआ और अब बंबीहा गिरोह को उनसे समर्थन मिल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, आशंका है कि आरपीजी के साथ मोहाली इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर हमले की नाकामी के बाद रिंदा को या तो आईएसआई ने मार डाला या फिर ड्रग के ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। यह भी आशंका है कि पाकिस्तानी आईएसआई उनके काम से खुश नहीं थी।
हालांकि, हाल ही में पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई गिरफ्तारियों और हथियारों व नशीली दवाओं की जब्ती से पता चला है कि बंबीहा गिरोह पाकिस्तान की आईएसआई के साथ लगातार संपर्क में है और इस गिरोह का संचालन विदेश में बैठे इसके सदस्यों, खासकर अर्श दल्ला द्वारा किया जा रहा है।
“जांच से यह भी पता चला है कि इस प्रकार प्राप्त आय का उपयोग नए परिष्कृत हथियार खरीदने के लिए किया जाता है, जिसमें पाकिस्तान स्थित साजिशकर्ताओं/सहयोगियों के माध्यम से सीमा पार हथियारों की डिलीवरी भी शामिल है। अर्श दल्ला, आरोपी नवीन बाली की मदद से सीमा पार ड्रोन आधारित हथियारों की डिलीवरी का समन्वय करता है, जो आगे अपने सहयोगियों की मदद से उन्हें पहुंचाता है।”
“बंबीहा गिरोह के सहयोगी, अर्थात् आरोपी छोटू राम उर्फ भट और जगसीर सिंह उर्फ जग्गा तख्तमल उर्फ जग्गा सरपंच, अन्य गिरोहों को भी हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। छोटू राम लखवीर सिंह से हथियार और अन्य रसद सहायता खरीदता है।”
“बंबीहा गिरोह लोगों को आतंकित करता है, अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए सीमा पार पाकिस्तान से अत्याधुनिक हथियार खरीदने के लिए जबरन वसूली करता है। अपने प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने की चाहत में, सिंडिकेट ने नामित आतंकवादियों से हाथ मिलाया है, जो खालिस्तान के लिए काम करते हैं।”
एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक “यह मुंबई के अंडरवर्ल्ड के साथ समानता रखता है, जो शुरू में हत्याएं, अपहरण, जबरन वसूली जैसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। पाकिस्तान की आईएसआई देश मेें अशांति फैलाने के लिए इन अपराधियों की मदद लेता रहा है। 1993 में मुंबई ब्लास्ट और इसके बाद मुंबई, सूरत व अहमदाबाद में हुए सांप्रदायिक दंगों में इन अपराधियों ने आईएसआई की मदद की।
मुंबई ब्लास्ट के बाद गठित एनएन वोहरा कमेटी ने अंडरवर्ल्ड की बॉलीवुड समेत अन्य सेक्टरों से गठजोड़ का भी खुलासा किया था।
–आईएएनएस
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