गोरखपुर, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का जीवन अपने गुरु युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज के आदर्शों के अनुरूप भारत और भारतीयता, सामाजिक जीवन मूल्यों और राष्ट्र कल्याण के लिए समर्पित रहा है।
ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं महंत अवेद्यनाथ ने जिन परिस्थितियों में कार्य किया वे चुनौतीपूर्ण थे। उस समय देश में जो दुष्प्रवृतियां थी उनके खिलाफ मुखर होकर इन्होंने कार्य किया, जिसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।
सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 54वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 9वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन मंगलवार को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे।
श्रद्धांजलि समारोह में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि ब्रह्मलीन महंतद्वय की पुण्य स्मृति में साप्ताहिक कार्यक्रम के दौरान जो भी विषय रहे, उनका केंद्र देश और धर्म था। यही विषय ब्रह्मलीन महंतद्वय के जीवन के भी केंद्र रहे। उन्होंने दोनों पूज्य संतों को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि महंतद्वय के संकल्पों के अनुरूप गोरक्षपीठ पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी।
श्रद्धांजलि समारोह में रोहतक हरियाणा से पधारे अलवर राजस्थान के सांसद महंत बालकनाथ ने कहा कि आज हमारा वंश जिस धरातल पर टिका हुआ है, उसके निर्माण में बहुत बड़ा श्रेय गोरक्षपीठ का रहा है। महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ के पदचिन्हों पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ को भी आने वाला समय एक युगपुरुष के रूप में जानेगा।
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य ने कहा कि श्रद्धांजलि में श्रद्धा का सबसे बड़ा विधान है। यह श्रद्धा, विश्वास का प्रतीक है। गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय ने इस राष्ट्र को एक करने में अपना अमूल्य योगदान दिया।
नैमिषारण्य से पधारे स्वामी विद्या चैतन्य ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ जी ने राम जन्मभूमि व गोरक्षा जैसे विषयों का आगे आकर नेतृत्व किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक सुभाष ने कहा कि गोरक्षपीठ के संत महापुरुषों की एक लंबी परंपरा है। सभी ने भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान के लिए कार्य किया।
अयोध्या से पधारे पूर्व सांसद महंत डॉ. रामविलास दास वेदांती ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ राष्ट्रसंत नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय संत थे, क्योंकि उन्होंने पूरे विश्व के हिंदुओं को राम जन्मभूमि के लिए जगा दिया था।
–आईएएनएस
विकेटी