नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस ने मंगलवार को बिहार सरकार द्वारा कराई गई जाति जनगणना का स्वागत किया, जिसकी रिपोर्ट गांधी जयंती के अवसर पर पटना में जारी की गई। पार्टी ने कहा कि यह समाज में हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए नीतियां बनाने में काफी मदद करेगा।
कांग्रेस ने यह सवाल भी उठाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे लेकर घबराई हुई क्यों है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे “पाप” क्यों बता रहे हैं।
यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष कैप्टन अजय सिंह यादव ने आश्चर्य जताया कि प्रधानमंत्री असहज क्यों महसूस कर रहे हैं और उन्होंने जाति आधारित जनगणना को पाप बताया है।
उन्होंने पूछा, “क्या समाज के अत्यंत गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों की पहचान करना, ताकि उनकी मदद की जा सके, पाप है? यह तो सबसे अच्छी बात है।”
उन्होंने बताया कि पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था – कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया था और अपने रायपुर सत्र में यह भी घोषणा की थी कि केंद्र में सरकार बनने के बाद पार्टी जाति जनगणना कराएगी।
उन्होंने पार्टी की मांग दोहराई कि भारत सरकार को यूपीए सरकार द्वारा 2011 में कराई गई जाति जनगणना का विवरण जारी करना चाहिए।
कैप्टन अजय ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसद में दिए उस बयान का जिक्र करते हुए कि भारत सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ तीन ओबीसी हैं, कहा कि ओबीसी समाज के सबसे वंचित वर्गों में से हैं।
उन्होंने कहा, न्यायपालिका और उच्च शिक्षा में भी उनकी ऐसी ही दुर्दशा थी। उन्होंने कहा, देशभर के 44 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में केवल 9 ओबीसी प्रोफेसर हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि एनईईटी यानी नीट में ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है।
कैप्टन अजय ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर वह (प्रधानमंत्री) ओबीसी के शुभचिंतक होते तो जातीय जनगणना कराते, इसे पाप नहीं बताते।
उन्होंने प्रधानमंत्री के इस दावे का भी खंडन किया कि जाति जनगणना देश को विभाजित कर देगी और कहा कि इससे उन लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी, जो बेहद हाशिए पर हैं और गरीब हैं।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इंद्रा साहनी मामले में आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया है, जिसने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया था।
उन्होंने यह भी बताया कि अब आरक्षण 60 फीसदी तक पहुंच चुका है।
पार्टी के इस रुख पर जोर देते हुए और दोहराते हुए कि महिला आरक्षण के भीतर आरक्षण होना चाहिए, उन्होंने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाएं सामान्य वर्ग की महिलाओं के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकतीं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह हाशिए पर मौजूद महिलाओं को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की आरएसएस की चाल थी।
–आईएएनएस
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