नेताजी सुभाष चंद बोस के ट्रबल शूटर के तौर पर जाने जाने वाले उनके बड़े भाई शरत चंद्र बोस अहिंसक मूल्यों पर यकीन रखते थे। शरत चंद्र बोस ने ही सुभाष चंद बोस को वह आधार प्रदान किया जिससे उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिली। सुभाष चंद बोस ने जब आईसीएस की परीक्षा पास करने के बाद इस्तीफा दिया तब शरत चंद्र बोस ने उनके इस निर्णय में पूरा साथ दिया था। वह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विलक्षण योद्धा थे जिन्होंने देश की स्वाधीनता के लिए अथक प्रयास किया। शरत चंद्र बोस का जन्म 6 सितंबर, 1889 को ओडिशा के कटक में हुआ था। 1911 में उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की और इंग्लैंड चले गए। नृपेंद्र नाथ सिरकार के मार्गदर्शन में शरत चंद्र ने बैरिस्टर के रूप में बहुत प्रसिद्धि हासिल की और भारत लौटकर वकालत आरंभ की। हालांकि, बाद में वह वकालत छोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हो गए। तत्कालीन भारत के गृह विभाग की रिपोर्ट में उन्हें “अपने भाई सुभाष चंद्र बोस की शक्ति और कलकत्ता में सविनय अवज्ञा आंदोलन का फाइनांसर” बताया गया था। शरत चंद्र बोस का पत्रकारिता में भी योगदान रहा। उन्होंने 1929 में ‘ओरिएंट प्रेस एजेंसी’ नामक एक समाचार एजेंसी की स्थापना की थी। 1940 के दशक में उन्होंने “द नेशन” अखबार निकालना शुरू किया। कुछ वर्ष बाद शरत चंद्र बोस राजनीति में आ गए। उनका विश्वास था कि ऐसा कुछ नहीं है जो नैतिक रूप से गलत हो और राजनीतिक रूप से सही। यही उनका मार्गदर्शक सिद्धांत रहा। शरत चंद्र बोस पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बंगाल और पंजाब के विभाजन का विरोध किया था। इसी मुद्दे पर उन्होंने जनवरी 1947 में कांग्रेस छोड़ दी और फरवरी 1947 में विरोध आंदोलन शुरु किया। 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होते ही शरत चंद्र बोस ने भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बर्मा और सिलोन के क्षेत्रीय संगठन की हिमायत की। वे एशिया के दक्षिण- पूर्वी राष्ट्रों की एकता के भी समर्थक थे। शरत चंद्र बोस सच्चे राष्ट्रवादी थे। वे विभिन्न तरीकों से आखिर तक विभाजन रोकने के प्रयास करते रहे और विभाजन के हर संभव विकल्प भी तलाशते रहे। 20 फरवरी 1950 को उनका निधन हो गया।
जन्म : 6 सितंबर, 1889
मृत्यु : 20 फरवरी 1950