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Home Today's Special News

दिल्ली के वकील ने बिहार के शिक्षा मंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई

by
January 12, 2023
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दिल्ली के वकील ने बिहार के शिक्षा मंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई
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नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), साइबर क्राइम यूनिट, द्वारका में शिकायत दर्ज कराई है।

जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

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जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), साइबर क्राइम यूनिट, द्वारका में शिकायत दर्ज कराई है।

जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), साइबर क्राइम यूनिट, द्वारका में शिकायत दर्ज कराई है।

जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

–आईएएनएस

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

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उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

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जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

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जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

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जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

–आईएएनएस

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 12 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), साइबर क्राइम यूनिट, द्वारका में शिकायत दर्ज कराई है।

जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

–आईएएनएस

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

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जिंदल ने डीसीपी से शेखर के खिलाफ इन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

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जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

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जिंदल के अनुसार, चंद्रशेखर का तीन पवित्र ग्रंथों- मनु स्मृति, रामचरित मानस और बंच ऑफ थॉट्स के बारे में बयान भड़काऊ और अपमानजनक था।

जिंदल ने शिकायत की कि बयान केवल हिंदू भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से दिया गया था।

इंटरनेट पर एक वीडियो और हालिया समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिंदल ने दावा किया है कि चंद्रशेखर ने कहा कि तीन पवित्र पुस्तकें अलग-अलग युगों में जाति-संबंधी नफरत फैलाती रही हैं।

जिंदल के अनुसार, एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान, चंद्रशेखर ने दावा किया कि मनु स्मृति, तुलसीदास की रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85 फीसदी आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया। उन्होंने दावा किया कि जहां मनु स्मृति निचली जातियों को गाली देती है, वहीं रामचरित मानस निचली जाति के लोगों को निरक्षर रखने की वकालत करता है।

सामाजिक कार्यकर्ता जिंदल ने दावा किया कि चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस दलितों, निचली जातियों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकता है, और इसलिए इसे जला दिया जाना चाहिए।

उन्होंने शिकायत की कि किताबों के खिलाफ इन शब्दों से चंद्रशेखर हिंदू समुदाय को बांटने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर नफरत फैलाने की मंशा से निशाना बना रहे हैं।

जिंदल ने शिकायत में कहा है, उनके द्वारा दिए गए बयान की सामग्री स्पष्ट रूप से जाति के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने की उनकी मंशा को दर्शाती है और उन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए।

जिंदल ने कहा कि धर्म से हिंदू होने के नाते उनके इस बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं बहुत आहत हुई हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देकर चंद्रशेखर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और बी, 295, 298 और 505 के तहत अपराध किया है, जो सं™ोय अपराध हैं और प्रकृति में बहुत गंभीर हैं।

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