मुंबई, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। टाटा की विस्तारा एयरलाइंस से यात्रा करने वाली दो बीमार महिला यात्रियों ने लैंडिंग के बाद व्हीलचेयर न दिए जाने से दुखी होकर एयरलाइन के खिलाफ 10-10 करोड़ रुपये का अलग-अलग मुकदमा दायर किया है।
14 सितंबर को कोलंबो से मुंबई तक बिजनेस क्लास में यात्रा करने वाली महिलाएं हैं 49 वर्षीय मोनिका गुप्ता और उनकी मां 81 वर्षीय उषा एम. गुप्ता।
नैसलीगल लॉ फर्म की पारिवारिक वकील निष्ठा मलिक ने बताया कि भारी मुआवजे की मांग करने वाले दो मामले मोनिका के भाई मुदित गुप्ता ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, मुंबई में दायर किए और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के पास भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
मुदित गुप्ता ने कहा कि वह और परिवार के सात अन्य सदस्य अपनी मां का 81वां जन्मदिन मनाने के लिए श्रीलंका में छुट्टियां मनाने गए थे और राउंड-ट्रिप बिजनेस क्लास बुकिंग के दौरान उन्होंने विशेष रूप से दो महिलाओं मोनिका और उषा गुप्ता के लिए व्हीलचेयर देने का अनुरोध किया था। लेकिन कोलंबो हवाईअड्डे पर गुप्ता की मां और बहन के लिए कोई व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं कराई गई। बहन मोनिका तीव्र गठिया और एक न्यूरोपैथिक विकार से पीड़ित है और मां उषा एम. गुप्ता अधिक आयु संबंधित विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं।
जब यह मामला विस्तारा प्रबंधन के संज्ञान में लाया गया, तो कोलंबो में एयरलाइन के कंट्री हेड ने माफी मांगी और मोनिका के दर्द और पीड़ा को देखा। चलने में असमर्थ होने के बावजूद उन्हें कुछ दूर चलना पड़ा। लेकिन विस्तारा प्रबंधन ने श्रीलंकाई एयरलाइंस को दोषी ठहराया, जो कथित तौर पर व्हीलचेयर की व्यवस्था करना जैसे ग्राउंड-हैंडलिंग कर्तव्यों को नियंत्रित करती है।
इससे भी बदतर स्थिति तब हो गई जब उड़ान यूके-132, जो मूल रूप से शाम 6.30 बजे मुंबई में उतरने वाली थी, को उस शाम छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक छोटे चार्टर्ड व्यावसायिक विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की त्रासदी के कारण हैदराबाद की ओर मोड़ दिया गया था और कुछ समय के लिए सभी उड़ान संचालन रोक दिए गए।
गुप्ता ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप जलपान या भोजन की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लगभग आठ घंटे तक उन्हें परेशानी झेलनी पड़ी। मोनिका के स्पष्ट रूप से बिगड़ते स्वास्थ्य के बावजूद विस्तारा केबिन क्रू पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करने में विफल रहा, और लैंडिंग के बाद फिर से कोई व्हीलचेयर नहीं दी गई।
मोनिका ने दर्द निवारक दवाएं ली थीं और दर्द निवारक स्प्रे भी लगाया था, लेकिन उड़ान के दबाव और लंबे समय तक बैठे रहने के कारण उनका दर्द बढ़ा गया, लेकिन चालक दल ने न तो उसे टॉयलेट जाने में मदद की, न ही डॉक्टर बुलाने की कोई घोषणा की गई। उन्होंने उसे केवल कोई अपरिचित मलहम और दर्द-सुन्न करने वाला बाम दिया।
उषा एम. गुप्ता भी उतनी ही थकी हुई थीं और मोनिका की तरह जल्दी से घर पहुंचना चाहती थीं, लेकिन केबिन क्रू ने दोनों बीमार महिलाओं की खराब स्वास्थ्य स्थिति के बावजूद उन्हें विमान से उतारने में मदद नहीं की।
गुप्ता ने कहा, “हमें तब और अपमानित होना पड़ा, जब केबिन क्रू ने हमें चिकित्सा आधार पर अपनी प्राथमिकता का दर्जा छोड़ने के लिए दबाव डाला और हमें उचित सहायता के बिना फिसलन भरे रैंप पर चलना पड़ा। वहां कोई चिकित्सा सहायता या परिवहन विकल्प नहीं था और हम एक घंटा से अधिक समय तक अंधेरे में फंसे रहे।”
हालांकि रात करीब 11.45 बजे एक व्हीलचेयर आ गई, लेकिन परिवार ने कहा कि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एक यात्री कोच के आने और उन्हें टर्मिनल भवन में ले जाने से पहले इस परिवार को आधे घंटे तक खुद की देखभाल करनी पड़ी।
गुप्ता ने कड़वाहट भरेे अंदाज में कहा, बाद में विस्तारा ने कथित तौर पर एक ईमेल के जरिए वाउचर में 1,000 रुपये के मुआवजे की पेशकश की।
परिवार ने विस्तारा एयरलाइन द्वारा यातनाओं, जीवन को खतरे, अपमान और उनकी गरिमा के अपमान के बदले मुआवजे की मांग के लिए सीडीआरसी का रुख किया है और “जीवन को खतरे में डालने वाली घटना” की डीजीसीए से जांच की मांग की है।
गुप्ता ने कहा, “हम विस्तारा एयरलाइन और सिंगापुर एयरलाइंस को निर्देश देना चाहते हैं कि वे यात्रियों को पर्याप्त और समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करें या यदि वे यात्री सुरक्षा और भलाई को खतरे में डालने वाली स्थितियों में काम करना जारी रखते हैं तो उन्हें लाइसेंस रद्द करने का सामना करना पड़ सकता है।”
इसके बाद विस्तारा अपीलीय कार्यालय ने गुप्ता परिवार को पत्र लिखकर असुविधा के लिए माफी मांगी और पुष्टि की कि बुकिंग के समय दो व्हीलचेयर आरक्षित थीं। एयरलाइन ने यह भी स्वीकार किया कि कोलंबो में व्हीलचेयर की व्यवस्था करने में देरी हुई।
एयरलाइन ने कहा, “उड़ान के दौरान हमारे स्टाफ ने सुश्री मोनिका और श्रीमती उषा गुप्ता को यथासंभव आरामदेह यात्रा के लिए हर संभव प्रयास किया। सुश्री मोनिका गुप्ता की जरूरत के मुताबिक उनकी सीट से लेकर शौचालय तक लाने-ले जाने में मदद की गई। इसके अलावा, हमने उन्हें आराम देने के लिए दवाएं भी दीं। आपके अनुरोध के अनुसार व्हीलचेयर के प्रावधान में देरी, मुंबई में आगमन और प्रस्थान की भीड़ रूट डायवर्ट हो जाने के कारण आखिरी मिनट में बढ़ गई थी, जिससे संसाधन प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया था। आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।”
–आईएएनएस
एसजीके