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Home Today's Special News

नागालैंड के राज्यपाल के रूप में रवि एक विवादास्पद व्यक्ति थे

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January 15, 2023
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कोहिमा, 15 जनवरी (आईएएनएस)। नागालैंड के पूर्व राज्यपाल रहे रवींद्र नारायण रवि वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं। रवि का ट्रांसफर हुए चार महीने हो गए लेकिन आज भी नागालैंड में उनका नाम है। वहां भी रवि ने राज्य विधानसभा में अपने भाषण के लिखित पाठ से कुछ अंशों को छोड़ देने सहित विभिन्न मुद्दों पर विवाद खड़ा किया था।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

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एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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कोहिमा, 15 जनवरी (आईएएनएस)। नागालैंड के पूर्व राज्यपाल रहे रवींद्र नारायण रवि वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं। रवि का ट्रांसफर हुए चार महीने हो गए लेकिन आज भी नागालैंड में उनका नाम है। वहां भी रवि ने राज्य विधानसभा में अपने भाषण के लिखित पाठ से कुछ अंशों को छोड़ देने सहित विभिन्न मुद्दों पर विवाद खड़ा किया था।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

–आईएएनएस

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राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

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राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

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राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

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राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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कोहिमा, 15 जनवरी (आईएएनएस)। नागालैंड के पूर्व राज्यपाल रहे रवींद्र नारायण रवि वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं। रवि का ट्रांसफर हुए चार महीने हो गए लेकिन आज भी नागालैंड में उनका नाम है। वहां भी रवि ने राज्य विधानसभा में अपने भाषण के लिखित पाठ से कुछ अंशों को छोड़ देने सहित विभिन्न मुद्दों पर विवाद खड़ा किया था।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

–आईएएनएस

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कोहिमा, 15 जनवरी (आईएएनएस)। नागालैंड के पूर्व राज्यपाल रहे रवींद्र नारायण रवि वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं। रवि का ट्रांसफर हुए चार महीने हो गए लेकिन आज भी नागालैंड में उनका नाम है। वहां भी रवि ने राज्य विधानसभा में अपने भाषण के लिखित पाठ से कुछ अंशों को छोड़ देने सहित विभिन्न मुद्दों पर विवाद खड़ा किया था।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

–आईएएनएस

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कोहिमा, 15 जनवरी (आईएएनएस)। नागालैंड के पूर्व राज्यपाल रहे रवींद्र नारायण रवि वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं। रवि का ट्रांसफर हुए चार महीने हो गए लेकिन आज भी नागालैंड में उनका नाम है। वहां भी रवि ने राज्य विधानसभा में अपने भाषण के लिखित पाठ से कुछ अंशों को छोड़ देने सहित विभिन्न मुद्दों पर विवाद खड़ा किया था।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, रवि के राज्य सरकार और नागा समूहों के बीच विशेष रूप से नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन- मुइवा) के बीच भरोसे की कमी के कारण पूर्व आईपीएस अधिकारी को राज्य से बाहर होना पड़ा।

एनएससीएन-आईएम के वर्चस्व वाले केंद्र और नागा समूहों के बीच 80 से अधिक दौर की बातचीत के बाद भी मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और असम में एक अलग नागा ध्वज, संविधान और सभी नागा लोगों के बसे हुए क्षेत्रों के एकीकरण के विवादास्पद मुद्दे पर गतिरोध जारी रहा।

रवि पहले टॉप सरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने कई मौकों पर एनएससीएन-आईएम के एक अलग नागा ध्वज और संविधान की मांगों को खारिज कर दिया, जिससे नागा संगठन और केंद्र के वातार्कार के बीच कड़वाहट पैदा हो गई।

केंद्र द्वारा 3 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एनएससीएन (आईएम) के साथ महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद, रवि नागालैंड और नागा समूहों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए। जुलाई 2019 में नागालैंड के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद नागाओं द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया था।

लेकिन एक साल के भीतर, थुइंगलेंग मुइवा के नेतृत्व वाले एनएससीएन-आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। क्योंरि रवि ने उन मुद्दों को इंगित किया जो नागा बॉडी के अनुकूल नहीं थे।

नागा समूहों के साथ शांति वार्ता 2020 की शुरुआत से ही बाधित हो गई है। क्योंकि एनएससीएन-आईएम ने रवि के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को नागा समूह के साथ बातचीत जारी रखने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की एक टीम को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एनएससीएन-आईएम के नेताओं ने यह भी दावा किया कि रवि ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और नागा मुद्दे को हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर संसद की स्थायी समिति को गुमराह किया। एनएससीएन-आईएम ने बलपूर्वक शांति वार्ता के लिए सरकार से रवि को वातार्कार के रूप में बदलने का अनुरोध किया।

नागा संगठनों के साथ अपने बिगड़ते संबंधों के बीच रवि ने जून 2020 में मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने आधा दर्जन से अधिक संगठित सशस्त्र गिरोहों द्वारा अनियंत्रित लूटपाट पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने मुख्यमंत्री को सशस्त्र गिरोहों की अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया और उनके खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया।

उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भूमिगत संगठनों में राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक डेटाबेस बनाने के लिए कहा था। रवि ने जनवरी 2020 में एक आदेश जारी किया, जिसमें उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हुए सोशल मीडिया पर देशद्रोही और विध्वंसक सामग्री पोस्ट करते हैं।

रवि के जब राज्य सरकार और एनएससीएन-आईएम के साथ संबंध खराब हो गए तो सरकार ने उन्हें सितंबर 2021 में तमिलनाडु स्थानांतरित कर दिया और उन्होंने तुरंत नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। गृह मंत्रालय ने भी उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया।

तमिलनाडु में रवि के स्थानांतरण ने एनएससीएन-आईएम और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) दोनों को राहत दी है जो सर्वदलीय संयुक्त जनतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। 12 सदस्यों के साथ भाजपा यूडीए सरकार का हिस्सा है।

रवि के जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को एनएससीएन-आईएम के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दीमापुर में नागा वार्ता पर बैठकों में भाग लिया। हिमंत बिस्वा सरमा नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक भी हैं।

राज्य सरकार के मामलों में पूर्व राज्यपाल के हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ एनडीपीपी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से रवि ने काम किया और नागा शांति वार्ता से निपटा, उससे राज्य सरकार बहुत नाखुश थी। एनएससीएन-आईएम के अलावा केंद्र आठ अन्य नागा सशस्त्र समूहों के साथ भी शांति वार्ता कर रहा है। एनएससीएन-आईएम ने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम समझौता किया था और देश के भीतर और बाहर 80 से अधिक दौर की बातचीत की थी, लेकिन कुछ निर्णय नहीं निकला था।

बिहार के पटना में जन्मे 1976 बैच के केरल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रवि साल 2012 में खुफिया ब्यूरो के विशेष निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। रवि को सितंबर 2014 में संयुक्त खुफिया समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बाद में नागा शांति वार्ता में वार्ताकार बनाया गया था। 2019 में रवि को शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए पीबी आचार्य की जगह नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

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