बेंगलुरु, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके. शिवकुमार ने मंगलवार को कहा कि उनके मूल कनकपुरा तालुक को बेंगलुरु जिले का हिस्सा बनाया जाएगा, जिससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया।
शिवकुमार ने कनकपुरा में एक धार्मिक समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कनकपुरा शहर बेंगलुरु में शामिल हो जाएगा और लोगों से अपील की कि वे अपनी जमीन बेंगलुरु के लोगों को न बेचें।
उन्होंने कहा कि कनकपुरा के लोग रामनगर जिले के नहीं हैं। वे बेंगलुरु जिले से हैं और इसे नहीं भूलना चाहिए। सभी गांव एक न एक दिन बेंगलुरु का हिस्सा होंगे। मेरे शब्दों को अंकित कर लो। साथ ही कनकपुरा को अलग जिला बनाने पर भी मैं चर्चा नहीं कर सकता।
इसके अलावा शिवकुमार ने कहा, ”मैं यहां हर किसी के लिए पैसा जमा नहीं कर सकता या घर नहीं बना सकता। भगवान ने मुझे आपकी संपत्ति की कीमतें दस गुना तक बढ़ाने की शक्ति दी है। डिप्टी सीएम का पद बेंगलुरु तक ही सीमित है। जब यह मेरे स्थान पर आएगा तो मैं डिलीवरी करने में संकोच नहीं करूंगा। यही कारण है कि मैंने मैसूरु में महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बावजूद यहां आना चुना।”
उनके बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए जद-एस और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव केवल “अपना खजाना भरने” के लिए किया गया है।
कनकपुरा को बेंगलुरु के साथ जोड़ने का शिवकुमार का बयान गलत है। उन्होंने कनकपुरा और उसके आसपास अपनी संपत्तियों की कीमतें बढ़वाने के इरादे से ही यह नया नाटक शुरू किया था। ऐसा कनकपुरा के लोगों की मदद करने की आड़ में किया गया है। शिवकुमार का यह बयान कि कनकपुरा के लोग बेंगलुरु के हैं, वर्तमान रामनगर जिले के प्रति विश्वासघात है।
उन्होंने आरोप लगाया, “कनकपुरा के आसपास अधिकांश संपत्ति का मालिक कौन है? उनमें से कितनी बेनामी हैं? जहां अवैध रूप से बाड़ लगाई गई है? कनकपुरा को बेंगलुरु का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव उन सभी अवैध संपत्तियों को नियमित करने के लिए है।”
कुमारस्वामी ने कहा कि बेंगलुरु कनकपुरा से 52 किमी दूर है जबकि रामानगर जिला मुख्यालय 25 किमी दूर है। लोगों के लिए क्या सुविधाजनक है? डिप्टी सीएम का प्रस्ताव कई संदेह पैदा करता है।
उन्होंने कहा, शिवकुमार ने बेंगलुरु से कनकपुरा तक सुरंग मार्ग बनाने की बात नहीं की थी। उन्होंने रेखांकित किया, कनकपुरा रामनगर जिले का हिस्सा बना रहेगा, शिवकुमार को समझना चाहिए।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम