पटना, 7 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। इस दौरान बिहार में बने सूप और डाला (दउरा) से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा में रह रहे बिहार के लोग छठ के मौके पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।
बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
कई व्यापारी यहां आकर सूप और दऊरा ले जाते हैं। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और आसपास के इलाकों में बांस से सूप और डाला आदि बनाए जाते हैं। पंजाब के लिए नियमित ट्रेन होने के कारण आसानी से डाला और सूप जालंधर के बाजारों तक पहुंच जाता है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों से सामान भेजना आसान व बेहद किफायती है। छठ को लेकर हमलोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। दूसरे राज्यों में सूप और डाला की अच्छी कीमत मिलती है। कारीगरों का कहना है कि अन्य राज्यों में जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, उन्हें छठ के मौके पर बिहार के बने सूप और डाला का इंतजार रहता है।
–आईएएनएस
एमएनपी/एबीएम
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पटना, 7 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। इस दौरान बिहार में बने सूप और डाला (दउरा) से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा में रह रहे बिहार के लोग छठ के मौके पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।
बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
कई व्यापारी यहां आकर सूप और दऊरा ले जाते हैं। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और आसपास के इलाकों में बांस से सूप और डाला आदि बनाए जाते हैं। पंजाब के लिए नियमित ट्रेन होने के कारण आसानी से डाला और सूप जालंधर के बाजारों तक पहुंच जाता है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों से सामान भेजना आसान व बेहद किफायती है। छठ को लेकर हमलोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। दूसरे राज्यों में सूप और डाला की अच्छी कीमत मिलती है। कारीगरों का कहना है कि अन्य राज्यों में जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, उन्हें छठ के मौके पर बिहार के बने सूप और डाला का इंतजार रहता है।
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पटना, 7 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। इस दौरान बिहार में बने सूप और डाला (दउरा) से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा में रह रहे बिहार के लोग छठ के मौके पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।
बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
कई व्यापारी यहां आकर सूप और दऊरा ले जाते हैं। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और आसपास के इलाकों में बांस से सूप और डाला आदि बनाए जाते हैं। पंजाब के लिए नियमित ट्रेन होने के कारण आसानी से डाला और सूप जालंधर के बाजारों तक पहुंच जाता है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों से सामान भेजना आसान व बेहद किफायती है। छठ को लेकर हमलोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। दूसरे राज्यों में सूप और डाला की अच्छी कीमत मिलती है। कारीगरों का कहना है कि अन्य राज्यों में जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, उन्हें छठ के मौके पर बिहार के बने सूप और डाला का इंतजार रहता है।
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पटना, 7 नवंबर (आईएएनएस)। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। इस दौरान बिहार में बने सूप और डाला (दउरा) से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा में रह रहे बिहार के लोग छठ के मौके पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।
बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
कई व्यापारी यहां आकर सूप और दऊरा ले जाते हैं। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और आसपास के इलाकों में बांस से सूप और डाला आदि बनाए जाते हैं। पंजाब के लिए नियमित ट्रेन होने के कारण आसानी से डाला और सूप जालंधर के बाजारों तक पहुंच जाता है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों से सामान भेजना आसान व बेहद किफायती है। छठ को लेकर हमलोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। दूसरे राज्यों में सूप और डाला की अच्छी कीमत मिलती है। कारीगरों का कहना है कि अन्य राज्यों में जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, उन्हें छठ के मौके पर बिहार के बने सूप और डाला का इंतजार रहता है।
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बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
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बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
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उन्होंने कहा कि ट्रेनों से सामान भेजना आसान व बेहद किफायती है। छठ को लेकर हमलोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। दूसरे राज्यों में सूप और डाला की अच्छी कीमत मिलती है। कारीगरों का कहना है कि अन्य राज्यों में जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, उन्हें छठ के मौके पर बिहार के बने सूप और डाला का इंतजार रहता है।
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बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
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बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस और जयनगर से अमृतसर जानेवाली शहीद एक्सप्रेस से सूप और डाला भेजे जा रहे हैं। सूप और दउरा बनाने वाले मुजफ्फरपुर के कारीगरों की मानें तो उन्होंने इसके लिए तीन महीने पहले से ही तैयारी प्रारंभ कर दी थी। इसके लिए आसपास के गांवों से बांस खरीद कर लाते हैं। सूप और दउरा तैयार होने के बाद वे अपने बनाए उत्पादों को लोकल मार्केट में बेचने के अलावा बाहर भेजने लगते हैं। इनके बने उत्पादों की मांग बाहर भी है।
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कई व्यापारी यहां आकर सूप और दऊरा ले जाते हैं। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और आसपास के इलाकों में बांस से सूप और डाला आदि बनाए जाते हैं। पंजाब के लिए नियमित ट्रेन होने के कारण आसानी से डाला और सूप जालंधर के बाजारों तक पहुंच जाता है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों से सामान भेजना आसान व बेहद किफायती है। छठ को लेकर हमलोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। दूसरे राज्यों में सूप और डाला की अच्छी कीमत मिलती है। कारीगरों का कहना है कि अन्य राज्यों में जो बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, उन्हें छठ के मौके पर बिहार के बने सूप और डाला का इंतजार रहता है।