कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एबीएम
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एबीएम
कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
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पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एबीएम
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एबीएम
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कलबुर्गी, 10 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) परीक्षा घोटाले मामले में मुख्य आरोपी को शरण देने और भागने में मदद करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान शाहपुर के शंकर गौड़ा यालावर और कलबुर्गी के रहने वाले दिलीप पवार के रूप में हुई है।
पुलिस ने कहा कि शंकर ने कथित तौर पर अपना फ्लैट सरगना आर.डी. पाटिल को किराए पर दिया था और दिलीप ने इसमें मदद की थी।
दिलीप ने आर.डी. पाटिल से 10,000 रुपये एडवांस लिए थे और रकम शंकर को दे दी थी। दोनों ने कथित तौर पर पाटिल को आश्रय देने के लिए मिलीभगत की और उसे भागने में मदद की।
6 नवंबर को पाटिल अपार्टमेंट परिसर की दीवार से कूदकर भाग गया था और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
पुलिस ने कहा कि पाटिल के खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भर्ती घोटाले से संबंधित हैं।
कर्नाटक पुलिस ने घोटाले में 20 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं। बीजेपी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है।
हालांकि, आरडीपीआर मंत्री प्रियांक खड़गे का कहना है कि कर्नाटक पुलिस विभाग उस घोटाले की गहन जांच कर रहा है जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नकल के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
उन्होंने सीबीआई जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि जांच कुशलतापूर्वक की जा रही है।
पीएसआई घोटाले में जमानत मिलने के बाद पाटिल ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक के अफजलपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया था।
पाटिल को पीएसआई भर्ती घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। घोटाले में जमानत मिलने के बाद केईए घोटाले में उनकी भूमिका सामने आई।
विपक्ष, कर्नाटक भाजपा, पुलिस और सरकार पर पाटिल को बचाने का आरोप लगा रही है।
बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और उसके मंत्री पाटिल के हाथों की ”कठपुतली” हैं।
उन्होंने कहा,”जब तक उन्हें मंत्रियों और विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तब तक उनका बचना संभव नहीं है। पाटिल कोई आम आदमी नहीं हैं। उनके पास कांग्रेस सरकार के शीर्ष नेताओं का सीधा संपर्क और समर्थन है। एक एसपी रैंक के अधिकारी के मिलने के बाद भी वह भागने में सफल हो जाते हैं। ठिकाने के बारे में जानकारी अदृश्य हाथों की भूमिका का संकेत देती हैैैै।”
मंत्री प्रियांक खड़गे की आलोचना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वर्तमान जिला प्रभारी मंत्री ने पिछली बीजेपी सरकार पर आरोपियों के संबंध में आरोप लगाए थे।
विजयेंद्र ने कहा, “हालांकि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनका समर्थन कर रही है। कथित आरोपियों का समर्थन करना दुर्भाग्यपूर्ण और प्रशासन की विफलता है।”