नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। नागालैंड सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि महिलाओं के लिए एक-तिहाई कोटा के साथ पूर्वोत्तर राज्य में नगरपालिका चुनाव की प्रक्रिया 30 अप्रैल 2024 से पहले पूरी हो जाएगी।
न्यायमूर्ति एस.के. कौल, सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने रिकॉर्ड किया कि राज्य विधानसभा से नागालैंड नगरपालिका विधेयक 2023 के पारित होने की “अच्छी खबर” मिली है।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता के.एन. बालगोपाल ने कहा कि हाल ही में पारित कानून के तहत प्रासंगिक नियमों को शीघ्रता से तैयार करने के लिए “एक महीने” के की अतिरिक्त अवधि की आवश्यकता है।
बालगोपाल ने कहा, “हम यह भी बताना चाहते हैं कि यह पूरी प्रक्रिया शीघ्रता से पूरी की जाएगी और हम अप्रैल 2024 तक परिणाम घोषित करेंगे।”
पीठ ने मामले को 11 दिसंबर को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, तब तक उसे “नियम तैयार होने की उम्मीद है”।
उल्लेखनीय है कि नागालैंड विधानसभा ने गुरुवार को राज्य शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा अनिवार्य करने वाले नागालैंड नगरपालिका विधेयक 2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया।
इस साल जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में महिला आरक्षण लागू करने के लिए केंद्र और नागालैंड सरकार को “एक आखिरी मौका” दिया था।
शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को राज्य सरकार को शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनाव कराने का निर्देश दिया था और राज्य चुनाव आयुक्त ने 16 मई को चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी।
इस बीच, विधानसभा द्वारा नागालैंड नगरपालिका अधिनियम (निरसन अधिनियम) 2023 पारित करने के तुरंत बाद, विभिन्न नागा आदिवासी समाज और नागरिक समाज द्वारा यूएलबी में महिला आरक्षण के खिलाफ मजबूत विरोध के बाद नागालैंड नगरपालिका अधिनियम 2001 को पूरी तरह से निरस्त करते हुए, राज्य चुनाव आयोग द्वारा अगले आदेश तक स्थानीय निकाय चुनाव रद्द कर दिए गए।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नागालैंड में यूएलबी चुनावों को रद्द करने वाली 30 मार्च की नागालैंड चुनाव आयोग की अधिसूचना पर रोक लगा दी।
पहाड़ी राज्य में, नागा संगठनों ने दावा किया कि यूएलबी में महिलाओं के लिए आरक्षण उनके समुदाय के प्रथागत कानूनों के खिलाफ होगा।
नागालैंड में सांस्कृतिक, सामाजिक, पारंपरिक और धार्मिक प्रथाएं, भूमि और संसाधन अनुच्छेद 371ए के तहत संरक्षित हैं, जिसमें नगर पालिकाओं की स्थापना के लिए संविधान के 73वें संशोधन से भी छूट दी गई है।
लेकिन 74वें संशोधन ने इस आधार पर यह छूट नहीं दी कि राज्य का शहरी प्रशासन प्रथागत परंपराओं का हिस्सा नहीं है।
नागालैंड ने 2001 में अपना नगरपालिका अधिनियम लागू किया और पहला नागरिक निकाय चुनाव 2004 में हुआ लेकिन उसमें आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी।
सरकार ने 2012 में अगले नागरिक निकाय चुनावों के लिए एक अधिसूचना जारी की, लेकिन आदिवासी निकायों की आपत्तियों के बाद चुनाव नहीं हो सके। आदिवासी निकायों ने महिला आरक्षण का कड़ा विरोध किया था। हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के कारण 2017 में सरकार को चुनाव प्रक्रिया को अमान्य घोषित करना पड़ा था।
–आईएएनएस
एकेजे