संयुक्त राष्ट्र, 12 नवंबर (आईएएनएस)। इस महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने इसके सदस्य देशों को सर्वसम्मति की आवश्यकता के प्रतीक के रूप में अपने देश का एक पुरातन खिलौना भेंट किया है।
उन्होंने लकड़ी के छह इंटरलॉकिंग टुकड़ों वाले ‘लू बान लॉक’ नामक खिलौने को उठाते हुए कहा, “आइए इसे शांति के रूप में लें; एक बार जब यह टूट जाता है, तो इसे आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता और अकेले एक टुकड़ा कुछ नहीं कर सकता।” इस खिलौने में लकड़ी का एक टुकड़ा हट जाने पर पूरा खिलौना ढह जाता है।
हो सकता है कि वह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की वीटो शक्तियों के बारे में बात कर रहे हों, जिनमें से चीन भी एक है। चीन ने इजराइल और हमास के बीच लड़ाई में मानवीय विराम के प्रस्ताव पर वीटो किया था। हालांकि झांग ने वीटो शक्तियों के किसी भी संबंध को खारिज कर दिया।
परिषद संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र इकाई है जिसके पास अपने निर्णयों को लागू करने की शक्तियां हैं – हालांकि व्यावहारिक तौर पर यह प्रभावी रूप से इजरायल पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है या उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं कर सकती। इजरायल-हमास संघर्ष में मानवीय विराम या युद्धविराम की मांग पर भी परिषद में सहमत नहीं बन सकी है।
परिषद के समक्ष लाये गये चार प्रस्तावों में से किसी को भी पारित करने में वह विफल रहा। दो प्रस्तावों के खिलाफ वीटो शक्तियों का इस्तेमाल किया गया था – एक के खिलाफ अमेरिका द्वारा और दूसरे के खिलाफ चीन तथा रूस द्वारा। अन्य दो को पारित कराने के लिए अनिवार्य न्यूनतम आठ मत नहीं मिल सके।
चीन और रूस ने प्रस्ताव को वीटो इसलिए किया क्योंकि उसमें युद्धविराम का आह्वान नहीं किया गया था। अमेरिका ने एक प्रस्ताव को यह कह कर वीटो किया कि उसमें इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार की पुष्टि नहीं की गई थी।
झांग ने कहा, सदस्यों की एकजुटता और सहयोग पाना “आसान काम नहीं है”।
उन्होंने कहा, “मैं आपको यह बताने की स्थिति में नहीं हूं कि मैं सभी चीजें कर सकता हूं, लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि हम अपने कार्यों और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में परिषद के सदस्यों के सहयोग को सुविधाजनक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”
और, परिषद की फिलहाल यही स्थिति है।
हमास द्वारा 7 अक्टूबर को इज़राइल पर क्रूर हमले को एक महीने से अधिक बीत चुका है। उस हमले में 1,200 लोग मारे गये थे और 240 से अधिक को बंधक बना लिया गया। इसके प्रतिशोध में इजरायल द्वारा पिछले पांच सप्ताह में किये गये हमलों में 10 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
महासभा ने मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें 193 सदस्यीय निकाय में इसके पक्ष में 120 और विपक्ष में 14 मत पड़ी जबकि भारत सहित 45 देश अनुपस्थित रहे।
लेकिन इसका केवल प्रतीकात्मक मूल्य है।
अन्यत्र, संयुक्त राष्ट्र ने कुछ व्यावहारिक परिणाम प्राप्त किये हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक अक्सर किए जाने वाले इस दावे पर खफा हैं कि संयुक्त राष्ट्र विफल है और वह उन क्षेत्रों में सफलताओं की ओर इशारा करते हैं जहां यह कार्य कर सकता है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के अप्रभावी होने के बारे में बात करने वाले एक संवाददाता से कहा, “मुझे लगता है कि सवाल यह है कि आप किस संयुक्त राष्ट्र के बारे में बात कर रहे हैं, ठीक है? मैं केवल उसके एक हिस्से के बारे में बोल सकता हूं, और वह महासचिव का है।”
उन्होंने गतिरोध वाली परिषद की आलोचना करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र में अन्य हिस्से, विधायी हिस्से हैं जो इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयास कर सकते हैं।”
संयुक्त राष्ट्र की कूटनीति ने मिस्र और गाजा के बीच राफा सीमा को भोजन, दवा और पानी सहित राहत सामग्री ले जाने वाले वाहनों के लिए खोलने में योगदान दिया, जिससे भुखमरी का सामना कर रहे फिलिस्तीनियों को जीवनदान मिला।
सबसे अधिक राहत संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों से है, जो परिवहन की व्यवस्था भी करती हैं।
गाजा में फंसे 20 लाख लोगों को राहत पहुंचाने के लिए इजरायल की पकड़ तोड़ने के लिए गुतरेस अपना पक्ष रखने के लिए सीमा तक पहुंच गए।
संयुक्त राष्ट्र मांग कर रहा है कि हर दिन कम से कम 100 ट्रकों को अनुमति दी जाए, लेकिन इज़रायल ने उससे कहीं कम की अनुमति दी है, फिर भी यह उसकी कूटनीति और संगठन की जीत है।
गाजा में संयुक्त राष्ट्र के राहत अभियान में सबसे दु:खद पक्ष 7 अक्टूबर से अब तक मारे गए 100 से अधिक कर्मचारी हैं।
–आईएएनएस
एकेजे