नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की सतर्कता मंत्री आतिशी ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों को पत्र लिखकर मुख्य सचिव नरेश कुमार और अन्य शीर्ष अधिकारियों से जुड़े द्वारका ई-वे भूमि अधिग्रहण मामले की गहन जांच के लिए कहा।
दिल्ली सरकार के एक सूत्र ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर आतिशी ने ईडी और सीबीआई के निदेशकों को पत्र लिखकर द्वारका ई-वे भूमि मुआवजा मामले में मुख्य सचिव, डीएम साउथ वेस्ट दिल्ली हेमंत कुमार और डिवीजन कमिश्नर अश्विनी कुमार की कथित संलिप्तता की जांच की सिफारिश की है।
सूत्र ने कहा कि सतर्कता मंत्री ने उल्लेख किया कि सतर्कता विभाग द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार के पैमाने और उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा अधिकार के दुरुपयोग की प्रथम दृष्टया स्थापना को देखते हुए यह मामला सीबीआई के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के दायरे में आना चाहिए।
सूत्र ने कहा कि लाभार्थियों द्वारा खरीदी गई जमीन का 93 फीसदी भुगतान नकद में किया गया होगा, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग भी शामिल हो सकती है, जिससे यह ईडी द्वारा जांच के लिए उपयुक्त मामला बन जाएगा।
सूत्र ने कहा, आतिशी ने उल्लेख किया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनकी प्रारंभिक जांच के बाद पाया गया कि चूंकि जमीन लाभार्थियों द्वारा 2015 में सर्कल रेट के केवल सात प्रतिशत पर खरीदी गई थी, इसलिए संभावना है कि शेष 93 प्रतिशत भुगतान नकद में किया गया होगा।
सूत्र ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि भूमि मुआवजे का अत्यधिक पुरस्कार न केवल भ्रष्टाचार का मामला है, बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग भी शामिल हो सकती है, जिससे यह ईडी द्वारा जांच के लिए उपयुक्त मामला बन सकता है।”
सूत्र ने कहा कि सतर्कता मंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री ने मुझे उपरोक्त प्रारंभिक रिपोर्ट की एक प्रति आपको इस अनुरोध के साथ भेजने का निर्देश दिया है कि कथित अवैध लेनदेन में शामिल लोगों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत ईडी द्वारा मामला दर्ज किया जाए।”
आतिशी ने कहा, “मैंने विशेष सचिव (सतर्कता) द्वारा प्रदान की गई प्रासंगिक फाइलों की प्रमाणित प्रतियों के आधार पर आरोपों की जांच की है। प्रधान सचिव (राजस्व)-सह-प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यालय से मांगे जाने के बावजूद कोई भी फाइल प्राप्त नहीं हुई है।
“इसके अलावा, मैंने भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध भूमि रिकॉर्ड, रिपोर्ट और रिकॉर्ड से संबंधित सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों का भी उल्लेख किया है। मैंने प्रारंभिक रिपोर्ट 14.11.2023 को दिल्ली के मुख्यमंत्री को सौंप दी।”
सतर्कता मंत्री ने आगे कहा, “मैंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और इस मामले में लागू होने वाले कानून के अन्य प्रावधानों के तहत डीएम साउथ वेस्ट हेमंत कुमार के अलावा नरेश कुमार (मुख्य सचिव, दिल्ली), और अश्विनी कुमार (डिविजनल कमिश्नर, दिल्ली) के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रारंभिक रिपोर्ट की एक प्रति केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी भेज दी है।”
सूत्र ने कहा कि सीबीआई निदेशक को लिखे अपने पत्र में आतिशी ने उल्लेख किया है कि कथित भ्रष्टाचार के पैमाने और दिल्ली सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा अधिकार के दुरुपयोग की प्रथम दृष्टया स्थापना को देखते हुए मुख्यमंत्री ने मुझे उपरोक्त प्रारंभिक रिपोर्ट की एक प्रति आपको इस अनुरोध के साथ भेजने का निर्देश दिया गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ लागू कानून के अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया जाए।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं समझती हूं कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने पहले ही इस मामले से संबंधित कुछ पहलुओं को सीबीआई को भेज दिया है, विशेष रूप से, भूमि मुआवजे को अत्यधिक बढ़ाने में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट, दक्षिण पश्चिम दिल्ली की कार्रवाई। हालांकि, जैसा कि आप इस प्रारंभिक रिपोर्ट में पाएंगे, तत्कालीन डीएम ने अपने वरिष्ठों के गैरकानूनी निर्देशों का पालन किया होगा। इसलिए तत्कालीन डीएम के अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार और प्रधान राजस्व सचिव सह प्रमंडलीय आयुक्त अश्विनी कुमार की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।”
इससे पहले इस मामले में मुख्य सचिव और अन्य उपरोक्त अधिकारियों की कथित संलिप्तता को लेकर सतर्कता मंत्री ने अपनी 670 पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी। गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री ने मामला सीबीआई और ईडी को सौंप दिया।
केजरीवाल को इस संबंध में एक शिकायत मिली थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि तीन सरकारी अधिकारी – हेमंत कुमार (डीएम, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली), नरेश कुमार (मुख्य सचिव, दिल्ली) और अश्विनी कुमार (डिविजनल कमिश्नर, दिल्ली) ने लाभार्थी भूमि मालिकों के साथ मिलीभगत की, उचित से ज्यादा भुगतान किया था, जिससे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भारी मौद्रिक हानि हुई।
शिकायतकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्य सचिव और उन भूस्वामियों के बीच घनिष्ठ संबंध है, जिनका मुआवजा तत्कालीन डीएम द्वारा काफी बढ़ाया गया था। यह आरोप लगाया गया था कि मुख्य सचिव का बेटा गलत तरीके से लाभान्वित भूस्वामियों के एक करीबी रिश्तेदार का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है।
–आईएएनएस
एसजीके