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Home ताज़ा समाचार

मासूम को अगरबत्तियों से दागा गया

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November 20, 2023
in ताज़ा समाचार
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शहडोल, 20 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अंधविश्वास की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां निमोनिया पीड़ित डेढ़ माह के एक मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया, जिसके चलते उसके शरीर पर कई घाव हो गए। बच्चे को अब मेडिकल काॅलेज के अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया है।

बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

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बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

–आईएएनएस

एसएनपी/एबीएम

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शहडोल, 20 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अंधविश्वास की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां निमोनिया पीड़ित डेढ़ माह के एक मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया, जिसके चलते उसके शरीर पर कई घाव हो गए। बच्चे को अब मेडिकल काॅलेज के अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया है।

बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

–आईएएनएस

एसएनपी/एबीएम

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शहडोल, 20 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अंधविश्वास की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां निमोनिया पीड़ित डेढ़ माह के एक मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया, जिसके चलते उसके शरीर पर कई घाव हो गए। बच्चे को अब मेडिकल काॅलेज के अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया है।

बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

–आईएएनएस

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शहडोल, 20 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अंधविश्वास की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां निमोनिया पीड़ित डेढ़ माह के एक मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया, जिसके चलते उसके शरीर पर कई घाव हो गए। बच्चे को अब मेडिकल काॅलेज के अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया है।

बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

–आईएएनएस

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शहडोल, 20 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अंधविश्वास की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां निमोनिया पीड़ित डेढ़ माह के एक मासूम को 51 बार अगरबत्ती से दागा गया, जिसके चलते उसके शरीर पर कई घाव हो गए। बच्चे को अब मेडिकल काॅलेज के अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया है।

बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

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बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

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बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

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बताया गया है कि हरदी निवासी प्रेमलाल के डेढ़ माह के बेटे प्रदीप को निमोनिया था और उसे सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी, बिगड़ती हालत बिगड़ी तो उसका चिकित्सक से उपचार कराया गया। मगर, इसी बीच परिजनों ने नीमहकीम व ओझा का सहारा लिया।

बताया गया है कि परिवार के बुजुर्गों ने मासूम को सांस लेने में हो रही दिक्कत के चलते ओझा का सहारा लिया। ओझा ने बच्चे के शरीर के अलग-अलग हिस्से में लगभग 51 बार अगरबत्ती से दागा। बच्चे को अगरबत्ती से दागे जाने से उसके शरीर पर कई जगह घाव उभर आए।

हालत और बिगड़ी तो उसे चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ठंड का मौसम आने पर बच्चे निमोनिया का शिकार होते हैं और आदिवासी बाहुल्य इलाका होने के कारण यहां लोगों का ओझा, नीमहकीम पर ज्यादा भरोसा है और वे अगरबत्ती आदि से दगवाते हैं। यह भी उसी तरह का मामला है। प्रशासन इस पर फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

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