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Home ताज़ा समाचार

दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘भारत’ के उपयोग के खिलाफ जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए विपक्षी दलों को अधिक समय दिया

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November 22, 2023
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

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इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

एसजीके

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नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों को उस जनहित याचिका पर जवाब देने के लिए और समय दिया, जिसमें विपक्षी दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्‍क्‍लूसिव अलायंस) का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को और समय दिया।

इससे पहले 31 अक्टूबर को कोर्ट ने जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब देने के लिए केंद्र को और समय दिया था। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा, “हमें अपना जवाब देने के लिए सप्ताह-दस दिन का और समय चाहिए।”

दूसरी ओर, नौ राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिका के खिलाफ “प्रारंभिक आपत्तियां” थीं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुका है।

पीठ ने अब मामले को 4 जनवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

चुनाव आयोग (ईसी) ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक गठबंधनों को विनियमित नहीं कर सकता।

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि केवल चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल किया है और कार्यवाही में नामित कुछ राजनीतिक दलों को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता, व्यवसायी गिरीश भारद्वाज के वकील ने कहा था कि मामले को तत्काल निपटाने की जरूरत है, क्योंकि पार्टियां “देश का नाम” और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग कर रही हैं।

सिंघवी ने दलील दी थी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। रिट याचिका में तर्क दिया गया है कि आज तक पोल पैनल ने प्रतिवादी राजनीतिक दलों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने के लिए उनके द्वारा दिए गए अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

आरोप है कि इस संक्षिप्त नाम का उपयोग केवल 2024 में आगामी आम चुनावों में अनुचित लाभ लेने के लिए किया गया है।

अगस्त में हाईकोर्ट ने भारद्वाज की जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति अमित महाजन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा था।

कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इस मामले की सुनवाई होनी है। इसमें कहा गया था, ”इसके लिए सुनवाई की जरूरत है।”

जनहित याचिका में दावा किया गया है, “… प्रतिवादी राजनीतिक दलों के संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का उपयोग केवल निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोटों को आकर्षित करने और प्राप्त करने के लिए और राजनीतिक लाभ के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के लिए किया गया है। यह एक चिंगारी है जो राजनीतिक नफरत को जन्म दे सकती है और अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।”

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 और संबंधित नियमों के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए भारद्वाज ने कहा है कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा होने के कारण इसका उपयोग किसी भी पेशेवर, व्यावसायिक उद्देश्य और राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है, “…इन राजनीतिक दलों का स्वार्थी कृत्य आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे नागरिक अनुचित हिंसा के शिकार हो सकते हैं और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”

–आईएएनएस

एसजीके

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