लंदन, 26 नवंबर (आईएएनएस)। 14 साल से ब्रिटेन में रह रहीं एक बुजुर्ग सिख महिला को जबरन भारत भेजने के विरोध में वहां का पूरा सिख समुदाय एक हो गया है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 78 वर्षीय गुरमित कौर 2009 में पंजाब से एक शादी में शामिल होने के लिए यहां आई, तब से वह स्मेथविक शहर में रह रही हैं। पंजाब में उनका कोई परिवार नहीं है।
इलाके में पॉपुलर वालंटियर गुरमित कौर को स्थानीय तौर पर “दयालु आंटी” के रूप में जाना जाता है।
देश में रहने की उनकी ऑनलाइन याचिका पर 65 हजार से ज्यादा लोगों ने दस्तखत किए, बावजूद इसके इस याचिका को खारिज कर दिया गया।
याचिका, ‘हम सब गुरमीत कौर हैं’, जिसे 2020 में लॉन्च किया गया था, में कहा गया है कि कौर “स्मेथविक के लिए एक संपत्ति और दयालु चाची हैं। हम चाहते हैं कि वह यहीं रहें। स्मेथविक घर है उनका!”
याचिका में कहा गया है, “गुरमित एक बहुत ही दयालु महिला है, भले ही उसके पास कुछ भी नहीं है फिर भी वह उदार हैं। उनका अधिकांश दिन स्थानीय गुरुद्वारे में सेवा करते हुए व्यतीत होता है।”
प्रचारकों ने बीबीसी को बताया कि वे उन्हें ब्रिटेन में इस आधार पर रखने के लिए लड़ रहे हैं कि पंजाब में उनकी देखभाल के लिए उनका कोई दोस्त या परिवार नहीं है।
यूके होम ऑफिस ने इस तर्क का खंडन करते हुए कहा है कि कौर अभी भी अपने गृह गांव में लोगों के संपर्क में हैं, जिससे वह भारत में फिर से तालमेल बिठाने में सक्षम होंगी।
कौर ने पिछले महीने गृह कार्यालय के फैसले के खिलाफ अपील की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
कौर ने कहा था, “मुझे नहीं पता कि क्या करना है, मैं असहाय महसूस कर रही हूं, मुझे नहीं पता कि कहां जाना है या क्या करना है।”
गृह कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि वह व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन, “सभी आवेदनों पर उनकी व्यक्तिगत योग्यताओं और प्रदान किए गए सबूतों के आधार पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाता है।”
–आईएएनएस
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