कोलकाता, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में महाधिवक्ता (एजी) का रिक्त पद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 100 दिन की नौकरी योजना के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं पर एक जनहित याचिका की सुनवाई में बाधा पैदा कर रहा है। (मनरेगा), कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को यह बात कही।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने पश्चिम बंगाल सरकार को इस संबंध में सरकारी वकील को अवगत कराने और विकल्पों की व्यवस्था करने की भी सलाह दी है।
10 नवंबर को एसएन मुखोपाध्याय के इस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से एजी का पद खाली पड़ा है और राज्य सरकार ने अभी तक उनके प्रतिस्थापन की घोषणा नहीं की है या उसे अंतिम रूप भी नहीं दिया है।
सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने मनरेगा मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित करते हुए जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। धन की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अभी तक उनका वैध बकाया नहीं मिल पाया है।
मनरेगा मुद्दे पर हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका कई फर्जी जॉब कार्ड जारी करने के माध्यम से 100-दिवसीय योजना के कार्यान्वयन में घोर अनियमितताओं के मुद्दे पर है। अधिकारी की जनहित याचिका पर सुनवाई सोमवार को होनी है।
दूसरी जनहित याचिका कृषि श्रमिकों के एक संघ, पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति द्वारा दायर की गई थी, इसमें 100 दिन की नौकरी योजना के तहत कृषि श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था।
–आईएएनएस
सीबीटी
स्रोत/रेड
कोलकाता, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में महाधिवक्ता (एजी) का रिक्त पद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत 100 दिन की नौकरी योजना के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं पर एक जनहित याचिका की सुनवाई में बाधा पैदा कर रहा है। (मनरेगा), कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को यह बात कही।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने पश्चिम बंगाल सरकार को इस संबंध में सरकारी वकील को अवगत कराने और विकल्पों की व्यवस्था करने की भी सलाह दी है।
10 नवंबर को एसएन मुखोपाध्याय के इस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से एजी का पद खाली पड़ा है और राज्य सरकार ने अभी तक उनके प्रतिस्थापन की घोषणा नहीं की है या उसे अंतिम रूप भी नहीं दिया है।
सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने मनरेगा मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकर्षित करते हुए जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। धन की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अभी तक उनका वैध बकाया नहीं मिल पाया है।
मनरेगा मुद्दे पर हाल ही में कलकत्ता उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर जनहित याचिका कई फर्जी जॉब कार्ड जारी करने के माध्यम से 100-दिवसीय योजना के कार्यान्वयन में घोर अनियमितताओं के मुद्दे पर है। अधिकारी की जनहित याचिका पर सुनवाई सोमवार को होनी है।
दूसरी जनहित याचिका कृषि श्रमिकों के एक संघ, पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति द्वारा दायर की गई थी, इसमें 100 दिन की नौकरी योजना के तहत कृषि श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था।
–आईएएनएस
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