रांची, 24 जनवरी (आईएएनएस)। झारखंड में कांट्रैक्ट पर कार्यरत पारा मेडिकल कर्मियों और नर्सों की आठ दिनों से जारी हड़ताल के चलते राज्य भर के अस्पतालों में हर रोज बड़ी तादाद में मरीज बगैर इलाज के लौट रहे हैं। ज्यादातर सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बेपटरी हो गई है। सभी जिलों में कोविड टीकाकरण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक्सरे और पैथोलॉजिकल जांच नहीं हो पा रही। डिस्ट्रिक्ट सदर हॉस्पिटल, पीएचसी, सीएचसी में वैक्सीनेशन के लिए बच्चों और डिलीवरी के लिए लाई गई महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। इधर हड़ताली कर्मियों के एक जत्थे ने रांची में राजभवन के समक्ष मंगलवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
आंदोलित कर्मियों की मांग है कि सरकार उनकी सेवा स्थायी करे। उनका कहना है कि बार-बार के आश्वासन के बाद भी सरकार के ढुलमुल रवैए के कारण उनका भविष्य अधर में लटका है। रांची, जमशेदपुर, चाईबासा, जामताड़ा, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, गुमला, सिमडेगा, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज सहित प्राय: सभी जिलों में स्वास्थ्यकर्मी हॉस्पिटल्स के सामने लगातार धरना दे रहे हैं। झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ, झारखंड अनुबंधित एएनएम, जीएनएम संघ के प्रवक्ता ने कहा कि अनुबंध कर्मी पिछले 16 से 17 वर्षों से सेवा दे रहे हैं। कई बार राज्य सरकार से नियमितीकरण को लेकर इनकी वार्ता हुई, पर निष्कर्ष शून्य निकला।
बता दें कि कांट्रैक्ट पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने बीते 17 जनवरी को रांची में राजभवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने सीएम हाउस को भी घेरने की कोशिश की थी। इसके साथ ही कर्मी हड़ताल पर चले गए थे। मंगलवार से अनशन कर रहे कर्मियों ने कहा कि जब तक सेवा के स्थायीकरण की उनकी मांग नहीं मानी जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
–आईएएनएस
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