नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने बुधवार को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर एयर इंडिया के पायलट-इन-कमांड के लाइसेंस के निलंबन को रद्द करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की, 26 नवंबर, 2022 को फ्लाइट में पेशाब करने की घटना के बाद कार्रवाई की गई थी।
पायलटों के निकाय ने कहा कि डीजीसीए की प्रतिक्रिया सनसनीखेज मीडिया रिपोटरें से शुरू हुई प्रतीत होती है। बुधवार को मंत्री को लिखे पत्र में कहा- प्रथम ²ष्टया, डीजीसीए की ओर से विश्वसनीय सबूतों के आधार पर तथ्यों को स्थापित करने के लिए अपनी स्वतंत्र जांच को समाप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया गया था और न ही निलंबित लाइसेंस धारकों को उनके अपने नियोक्ता की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा सुनवाई का अवसर दिया गया।
पायलटों के निकाय ने पायलट के लाइसेंस के निलंबन को रद्द करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्री के तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध किया। यह बड़ी चिंता का विषय है कि डीजीसीए पुरातन कानून से प्राप्त निरंकुश, औपनिवेशिक युग की शक्तियों का उपयोग करना जारी रखता है जो इसे प्रभावी रूप से एक नियम बनाने, जांच करने, दंडित करने और अपील करने वाला प्राधिकरण बनाता है, जो बिना पर्याप्त जांच और संतुलन के सभी को एक में समाहित कर देता है, इस तरह की मनमानी कार्रवाई अपवाद के बजाय आदर्श बन गई है।
विमानन नियामक डीजीसीए ने 20 जनवरी को एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और 26 नवंबर, 2022 को हुए एयर इंडिया पेशाब मामले में पायलट-इन-कमांड का लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया। इसके अलावा, नियामक ने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने के लिए एयर इंडिया के निदेशक-इन-फ्लाइट सेवाओं पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
इससे पहले मंगलवार को छह यूनियनों के समूह एयर इंडिया ज्वाइंट एक्शन फोरम ने मंगलवार को विमानन नियामक, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से अपील की थी कि एयर इंडिया की उस फ्लाइट के पायलट-इन-कमांड का निलंबन वापस लिया जाए, जिसमें पेशाब करने की घटना हुई थी।
–आईएएनएस
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