deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ताज़ा समाचार

हिट-एंड-रन मामलों के नए कानून के खिलाफ क्यों खड़े हैं ट्रक-बस-टैंकर चालक? (विश्‍लेषण)

by
January 2, 2024
in ताज़ा समाचार
0
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

READ ALSO

‘जीत ऐसी ही दिखती है’, रावलपिंडी से लेकर जैकोबाबाद तक भारत ने ग्यारह एयरबेस ’90 मिनट’ में किए तबाह

वाराणसी : काशीवासियों ने भारतीय सेना के लिए किया हनुमान चालीसा का पाठ

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 2 जनवरी (आईएएनएस)। ट्रक ड्राइवरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी है, देश ईंधन संकट से जूझ रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर दहशत फैल रही है और समर्थन करने वाले विपक्षी नेताओं की भी आलोचना हो रही है।

ट्रांसपोर्टर हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के हिस्‍से हिट-एंड-रन कानून में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है।

क्या कहता है नया कानून…

नया हिट-एंड-रन कानून दुर्घटनास्थल से भागने वाले ड्राइवरों पर सख्त जुर्माने का प्रवाधान है। कानून के मुताबिक, दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवर को 10 साल तक की जेल या 7 लाख रुपये का जुर्माना होगा। यह कानून निजी वाहन मालिकों पर भी लागू होता है। पहले आईपीसी की धारा 304ए के तहत अधिकतम जेल की सजा दो साल की थी।

ट्रक, बस और तेल टैंकर चालक इस कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं?

उनका तर्क है कि ये कठोर कदम उनकी आजीविका को ख़तरे में डाल देंगे, ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और संभावित रूप से घायलों को ले जाते समय उन्हें भीड़ की हिंसा का शिकार होना पड़ेगा। इन प्रावधानों को निरस्त करने की उनकी मांग के कारण देशव्यापी हड़ताल हुई है।

वकील का नजरिया…

आईएएनएस से बात करते हुए वकील शशांक दीवान ने कहा, “सजा विशेष रूप से तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों के लिए निर्धारित की गई है। इस विशिष्ट खंड को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष को अंततः नशा, तेज गति या तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसे कारकों को साबित करना होगा।

उन्होंने कहा कि हिट-एंड-रन का खतरा काफी अधिक रहता है, नए कानून से ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना पैदा होगी।

दीवान ने यह भी कहा, “दुर्घटनाएं तेज गति या लापरवाही से गाड़ी चलाने के बिना भी हो सकती हैं।”

प्रदर्शनकारियों के यह कहने पर कि वाहन के मालिक को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए, दीवान ने कहा कि जिम्मेदारी चालक की है।

उन्होंने कहा, “ऐसे परिदृश्य पर विचार करें, जहां एक ड्राइवर, शायद शराब के नशे में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाता है और दुर्घटना का कारण बनता है। वाहन मालिक के लिए प्रत्येक चालक की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में जहां लापरवाही से गाड़ी चलाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जैसे पैदल यात्री बिना सावधानी के राजमार्ग पार कर रहा है, तो अभियोजन की जरूरत नहीं हो सकती है। हालांकि, इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करना आदर्शवादी लग सकता है।”

“अभियोजन पक्ष की चुनौतियों से निपटना एक मौजूदा मुद्दा है, जिसमें लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने की अस्पष्ट परिभाषाएं हैं। आम सहमति की कमी है, कुछ लोगों का तर्क है कि अकेले तेज गति से गाड़ी चलाना लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं है। तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मानदंड मनमाने और अस्पष्ट बने हुए हैं।”

दीवान ने कहा, मुद्दे तब उठते हैं, जब ओवर-स्पीडिंग जैसे आरोपों को साबित करने की कोशिश में अधिकारी अक्सर व्यक्तिपरक दावों पर भरोसा करते हैं।

उन्होंने कहा, “कुछ निर्णय साक्ष्य के रूप में स्किड मार्क्स की जरूरत का सुझाव देते हैं, लेकिन यह अकेले तेज और लापरवाही से ड्राइविंग को परिभाषित नहीं कर सकता।”

दीवान ने यह भी कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद बदलाव की जरूरत है, खासकर नशे में गाड़ी चलाने जैसे मुद्दों के समाधान में।

दीवान ने कहा, “कुछ ड्राइविंग व्यवहारों से जुड़े बड़े खतरे और जोखिमों को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।”

इस बीच, ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने दिल्ली में ड्राइवरों और वाहन मालिकों से कहा है कि भले ही वह हिट-एंड-रन मामलों में हिरासत की अवधि और जुर्माने की राशि के संबंध में निर्णय लेने से सहमत हों। कुछ खामियां हैं, मसले का हल बातचीत से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा, “समाधान खोजना संभव है और इसके लिए हमारे संगठन के सभी अधिकारी लगन से काम कर रहे हैं। समाधान जरूर निकलेगा और जल्द ही सरकार कानून में संशोधन के लिए तैयार होगी।”

कपूर ने परिवहन कारोबार से जुड़े अपने सहयोगियों से भी अनुरोध किया है कि वे धैर्य रखें, क्योंकि कानून एक अप्रैल से ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, “इसलिए शांति बनाए रखें… हमें ईश्‍वर पर पूरा भरोसा रखते हुए शांति से काम करना है।”

विरोध का असर…

आंदोलन का प्रभाव स्पष्ट है, पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2,000 पेट्रोल पंपों पर ईंधन का स्टॉक ख़त्म हो गया है।

चंडीगढ़ जैसे शहर सीमित ईंधन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए उपाय लागू कर रहे हैं, जिसमें दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध भी शामिल है।

अगर हड़ताल जारी रहती है या बड़े पैमाने पर अखिल भारतीय आंदोलन में तब्दील हो जाती है तो स्थिति सब्जियों, फलों और दूध जैसी आवश्यक आपूर्ति में संभावित व्यवधान को लेकर चिंता पैदा करती है।

–आईएएनएस

एसजीके

Related Posts

ताज़ा समाचार

‘जीत ऐसी ही दिखती है’, रावलपिंडी से लेकर जैकोबाबाद तक भारत ने ग्यारह एयरबेस ’90 मिनट’ में किए तबाह

May 11, 2025
ताज़ा समाचार

वाराणसी : काशीवासियों ने भारतीय सेना के लिए किया हनुमान चालीसा का पाठ

May 11, 2025
ताज़ा समाचार

युद्धविराम पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे बोले, ‘मुझे मोदी जी पर भरोसा है कि यह लड़ाई आखिरी होगी’

May 11, 2025
ताज़ा समाचार

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर महिला ने शेयर किया विवादित पोस्ट, मुंबई पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

May 11, 2025
ताज़ा समाचार

मार्केट आउटलुक: भारत-पाक तनाव, महंगाई और आर्थिक आंकड़ों से अगले हफ्ते तय होगा बाजार का रुझान

May 11, 2025
ताज़ा समाचार

डोनाल्ड ट्रंप ने की संघर्ष विराम के लिए भारत-पाक की सराहना, कहा- साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे का हल निकालेंगे

May 11, 2025
Next Post

भ्रष्टाचार और अंदरूनी कलह से ग्रस्त तृणमूल कैंसर के अंतिम चरण में है : अधीर रंजन चौधरी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

बंदा प्रकाश तेलंगाना विधान परिषद के उप सभापति चुने गए

February 12, 2023
बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

बीएसएफ ने मेघालय में 40 मवेशियों को छुड़ाया, 3 तस्कर गिरफ्तार

February 12, 2023
चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

चीनी शताब्दी की दूर-दूर तक संभावना नहीं

February 12, 2023

बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ जैसे हालात, शहर में घुसने लगा नदी का पानी

August 26, 2023
राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

राधिका खेड़ा ने छोड़ा कांग्रेस का दामन, प्राथमिक सदस्यता से दिया इस्तीफा

May 5, 2024

EDITOR'S PICK

चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 32 खरब अमेरिकी डॉलर से अधिक

चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 32 खरब अमेरिकी डॉलर से अधिक

April 7, 2025
दिल्ली में शनिवार को चुनावी रैली को संबोधित करेंगे राहुल गांधी

दिल्ली में शनिवार को चुनावी रैली को संबोधित करेंगे राहुल गांधी

May 17, 2024

अधीर का निलंबन रद्द करने की सिफारिश की, लाठीचार्ज मामले में बिहार डीजीपी और अन्य अधिकारियों को तलब करेगी समिति

August 30, 2023

कर्नाटक के भाजपा विधायक यतनाल ने फिर पार्टी को किया शर्मिंदा

December 12, 2023
ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

080900
Total views : 5870696
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In