रायपुर, 25 जनवरी (आईएएनएस)। देश की जनजातीय क्षेत्र के बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान बढ़ाने के मकसद से ‘हल्बी बालबोधिनी’ पुस्तक तैयार की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तैयार की गई इस पुस्तक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणतंत्र दिवस पर विमोचन करने वाले हैं।
राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 एवं राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2022 के अंतर्गत तीन से आठ साल तक के बच्चों को मातृभाषा, घर की भाषा, तथा आंचलिक भाषा में शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
भारत के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के बच्चों को पठन-पाठन में कठिनाई होती है। बच्चों के ज्ञानात्मक स्तर व सामान्य बोली भाषा को ध्यान में रखते हुए भाषा शिक्षण पुस्तक ‘हल्बी बालबोधिनी’ तैयार की गयी है।
इस पुस्तक का छत्तीसगढ़ के जनजातीय इलाकों के बच्चों को बड़ा लाभ होगा जो अपनी बोली के अलावा दूसरी भाषा को नहीं जानते।
राज्य सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि हल्बी बालबोधिनी में मातृभाषा हल्बा के साथ हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों के साथ चित्र एवं कविता के माध्यम से वर्णमाला, बारहखड़ी, गिनती आदि का समावेश है। यह पुस्तक हल्बा जनजाति क्षेत्र विशेषकर छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और असम में नए शिक्षा सत्र 2024-25 के लिए भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार को उपलब्ध कराई जाएगी।
शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के भारतीय भाषा संस्थान मैसूर के डायरेक्टर प्रोफेसर शैलेन्द्र मोहन एवं पूर्वी क्षेत्रीय भाषा केन्द्र भुवनेश्वर के प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर, डॉ विनय पटनायक शिक्षा विशेषज्ञ एवं के मार्गदर्शन में हल्बी भाषा में यह पुस्तक तैयार की गई है। स्थानीय गीत, कविता, कहानियां, वार्तालाप एवं चित्र को वर्ण और शब्दों के माध्यम से बच्चों को ध्वनि परिचय, वर्ण परिचय, पढ़ने एवं लेखन अभ्यास में यह पुस्तक मददगार होगी।
बताया गया है कि इस पुस्तक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणतंत्र दिवस के मौके पर विमोचन करने वाले हैं। यह पुस्तक जनजातीय वर्ग के बच्चों के ज्ञान को बढ़ाने में बड़ी मददगार साबित होगी।
–आईएएनएस
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