काठमांडू, 31 जनवरी (आईएएनएस)। नेपाल सरकार ने हाल ही में एक चीनी महिला को निर्वासित कर दिया, जो नेपाल के अंदर एक एनजीओ चला रही थी और देश में अवैध रूप से रह रही थी।
‘चाइना फाउंडेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट’ नाम के एक एनजीओ चलाने वाली ज़ो झिकियांग का तब विवाद शुरू हो गया जब एक माओवादी नेता गोरख बहादुर केसी ने पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट में राहत वितरण के दौरान कथित तौर पर उनकी पिटाई कर दी।
चीनी एनजीओ की ओर से झिकियांग राहत वितरण के लिए जाजरकोट पहुंची थी, लेकिन गोरख बहादुर केसी सहित स्थानीय माओवादी नेताओं ने राहत सामग्री को घटिया सामान बताते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
बाद में, उसने स्थानीय पुलिस स्टेशन और नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टी सीपीएन (माओवादी सेंटर) में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि केसी और उनकी टीम ने महिला को तब पीटा जब वह जाजरकोट में राहत वितरण के लिए जा रही थी।
जाजरकोट में 3 नवंबर को आए भूकंप में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
जब वह राहत सामग्री बांटने जा रही थी तो स्थानीय माओवादी नेता केसी के एक साथी ने उसकी मौके पर ही पिटाई कर दी। केसी और अन्य माओवादी नेताओं ने उन पर घटिया राहत सामग्री वितरित करने का आरोप लगाया और कहा कि चीनी राहत सामग्री भ्रष्टाचार का हिस्सा है।
बाद में माओवादी केंद्र की केंद्रीय समिति ने केसी से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि उन्होंने चीनी नागरिक की पिटाई क्यों की।
केसी ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने उन पर कुछ बेबुनियाद आरोप लगाए हैं और पार्टी महासचिव गुरुंग राहत वितरण में भ्रष्टाचार में शामिल थे। गुरुंग को माओवादी पार्टी के चीनी समर्थक नेता के रूप में जाना जाता है।
केसी ने गुरुंग पर अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए चीनी एनजीओ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
बाद में माओवादी पार्टी ने उसके खिलाफ जांच शुरू की और पता चला कि वह अवैध रूप से नेपाल में रह रही थी।
आईएएनएस को मिले दस्तावेज के मुताबिक, नेपाल के गृह सचिव दिनेश भट्टाराई ने 18 दिसंबर को उसे निर्वासित करने का फैसला किया और समय से ज्यादा समय तक रुकने के लिए उस पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
नेपाल के आव्रजन नियमों के अनुसार, सरकार ने उन्हें एक वर्ष के लिए नेपाल में आने से रोक दिया है।
–आईएएनएस
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