नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कानूनी शिक्षा तक समान पहुंच की वकालत करते हुए कहा कि लॉ स्कूलों में प्रवेश प्रक्रियाओं में न केवल शैक्षणिक प्रदर्शन बल्कि सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, विविधता और जीवन के अनुभवों जैसे कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने 2024 कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (सीएएसजीसी) में उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि जैसे-जैसे हम कानूनी शिक्षा को आधुनिक बनाने का प्रयास करते हैं, हमें कानूनी शिक्षा तक न्यायसंगत पहुंच के सवाल का भी सामना करना होगा।
उन्होंने कहा कि “लॉ स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षाओं में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी प्रवेश प्रक्रियाएं निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी हों।”
उन्होंने कहा कि कानून अधिकारी अदालतों और सरकार के बीच संपर्क के प्राथमिक बिंदु के रूप में कार्य करते हैं और वह न केवल सरकार के प्रतिनिधि के रूप में बल्कि अधिकारी के रूप में भी कार्य करते हैं।
उन्होंने कहा कि “कानून के शासन के संरक्षक के रूप में उनकी भूमिका को देखते हुए, कानून अधिकारी निजी चिकित्सकों की तुलना में नैतिक मानकों को बनाए रखने में अधिक जिम्मेदारी निभाते हैं।…यह जरूरी है कि कानून अधिकारी चल रही राजनीति से अप्रभावित रहें और कानूनी कार्यवाही की अखंडता सुनिश्चित करते हुए अदालत में गरिमा के साथ व्यवहार करें।”
सीजेआई चंद्रचूड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर बार-बार जोर दिया है कि कानून अधिकारियों और पेशेवरों को न केवल न्याय प्रशासन में सहायता करनी चाहिए, बल्कि अदालत कक्ष के भीतर और बाहर दोनों जगह अनुकरणीय आचरण के माध्यम से कानूनी पेशे के सम्मान को भी बनाए रखना चाहिए।
ई-कोर्ट प्रोजेक्ट का हवाला देते हुए सीजेआई ने कहा इसका मकसद सभी लोगों के लिए न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है। साथ ही प्रौद्योगिकी को केवल स्वचालन नहीं, बल्कि परिवर्तन लाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे सभी तकनीकी समाधान हितधारकों की विविध आवश्यकताओं, क्षमताओं और समावेशिता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किए जाने चाहिए।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि गरीबी उन्मूलन, पृथ्वी की रक्षा और सभी के लिए समृद्धि जैसे सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में कार्रवाई का आह्वान न्याय, समानता और मानवाधिकारों के हमारे मूल संवैधानिक सिद्धांतों के साथ गहराई से मेल खाते हैं। ये लक्ष्य महज भारत के लिए विशिष्ट नहीं हैं, बल्कि भारत के सभी कानूनी प्रणालियों का आंतरिक हिस्सा हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विज्ञान भवन में कॉमनवेल्थ लीगल एजुकेशन एसोसिएशन (सीएलईए) – कॉमनवेल्थ अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (सीएएसजीसी) 2024 का उद्घाटन किया है।
सम्मेलन में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ-साथ एशिया-प्रशांत, अफ्रीका और कैरेबियन में फैले राष्ट्रमंडल देशों के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर की मौजूदगी रही।
‘न्याय वितरण में सीमा पार चुनौतियां’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में कानून और न्याय से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे न्यायिक परिवर्तन और कानूनी अभ्यास के नैतिक आयामों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
–आईएएनएस
सुबोध/एकेजे