नई दिल्ली, 31 जनवरी । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि पत्रकार राणा अय्यूब को झुग्गीवासियों, कोविड रिलीफ और असम में कुछ काम के उद्देश्य से एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से पैसा मिला, हालांकि उन्होंने पैसे को डायवर्ट किया और इसे निजी आनंद के लिए इस्तेमाल किया।
अय्यूब ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में गाजियाबाद की एक अदालत द्वारा जारी समन के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।
अय्यूब का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष दलील दी, क्या उनके मुवक्किल को कानून द्वारा अधिकृत नहीं की गई प्रक्रिया से व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है?
ग्रोवर ने कहा कि ईडी ने नवी मुंबई के एक बैंक में उनके मुवक्किल के निजी बैंक खाते को कुर्क कर लिया है, जिसमें करीब एक करोड़ रुपये पड़े हुए थे।
ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि राणा अय्यूब ने ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केट्टो पर तीन कैंपेन शुरू किए थे। इनके जरिए स्लम में रहने वाले लोगों और किसानों के लिए, असम, बिहार और महाराष्ट्र में राहत कार्य के लिए और कोरोना प्रभावित लोगों के लिए फंड जुटाया गया, जो एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है। उन्होंने कहा कि लगभग 1 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे और सावधि जमा में 50 लाख रुपये एक व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर किए गए थे, और पहला अभियान समाप्त होने के बाद उन्हें पैसे मिलते रहे।
मेहता ने कहा, हमने पाया कि पैसा डायवर्ट किया गया था। निजी आनंद के लिए इस्तेमाल किया गया। लोग यह जाने बिना करोड़ों रुपये दान कर रहे थे कि पैसा कहां जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि एजेंसी द्वारा गाजियाबाद की अदालत में एक अभियोजन शिकायत दायर की गई थी।
मेहता ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग अपराध हमेशा एक अनुसूचित अपराध से जुड़ा होता है, जिसके लिए गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि पैसा नकली बिल, किराने का सामान के तौर पर दिखाया गया था, लेकिन व्यक्तिगत विलासिता की वस्तुओं और उपभोग के लिए इस्तेमाल किया गया था।
अय्यूब के वकील की दलीलों का हवाला देते हुए, मेहता ने जोर देकर कहा कि अगर कोई व्यक्ति सिंगापुर या तिरुवनंतपुरम में मनी लॉन्ड्रिंग करना चाहता है, तो एजेंसी को वहां जाकर मामला दर्ज करना होगा।
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने धन शोधन मामले में गाजियाबाद की एक विशेष अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली अय्यूब की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने गाजियाबाद की अदालत से अय्यूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्यवाही को 27 जनवरी को सुनवाई के लिए 31 जनवरी के बाद स्थगित करने के लिए कहा था।
ईडी ने पिछले साल अक्टूबर में अय्यूब के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिसमें उन पर जनता को धोखा देने और अपनी निजी संपत्ति बनाने के लिए 2.69 करोड़ रुपये के चैरिटी फंड का इस्तेमाल करने और विदेशी योगदान कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
अय्यूब ने गाजियाबाद में ईडी द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया। याचिका में तर्क दिया गया कि क्षेत्राधिकार की कमी का हवाला देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का कथित अपराध मुंबई में हुआ।
गाजियाबाद की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने पिछले साल नवंबर में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर अभियोजन शिकायत का संज्ञान लिया था और अय्यूब को तलब किया था। विशेष अदालत ने कहा कि पूरे रिकॉर्ड के अवलोकन से अपराध के संबंध में राणा अय्यूब के खिलाफ संज्ञान लेने के प्रथम ²ष्टया मामले के पर्याप्त सबूत हैं।
विशेष अदालत ने कथित अपराध को नोट किया है कि कथित अपराध केट्टो प्लेटफॉर्म के माध्यम से दान के नाम पर आम जनता से अवैध रूप से धन प्राप्त करने के संबंध में है, जो एक ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है, तीन अभियानों में बिना किसी प्रकार की मंजूरी के, अपनी बहन और पिता के बैंक खाते में बड़ी रकम जुटाई और बाद में उसे अपने बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया, जिसका उपयोग उचित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया था।
–आईएएनएस
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