नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति देने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी।
उपग्रह उप-क्षेत्र को तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है – प्रक्षेपण यान, उपग्रह और उपग्रह घटक।
संशोधित नीति के तहत लॉन्च वाहनों में 49 प्रतिशत तक, उपग्रहों में 74 प्रतिशत और उपग्रह घटकों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है।
‘प्रक्षेपण वाहन’ के अंतर्गत परिभाषित गतिविधियां संबद्ध प्रणालियां या उपप्रणालियां हैं और अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने व प्राप्त करने के लिए अंतरिक्ष बंदरगाहों का निर्माण इसमें शामिल है।
इसी तरह, ‘उपग्रह’ के अंतर्गत गतिविधियां विनिर्माण और संचालन हैं, उपग्रह डेटा उत्पाद, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट हैं।
मौजूदा नीति के अनुसार, उपग्रहों की स्थापना और संचालन में केवल सरकारी अनुमोदन मार्ग से एफडीआई की अनुमति है।
कैबिनेट की बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के तहत दृष्टिकोण और रणनीति के अनुरूप, कैबिनेट ने विभिन्न उप-क्षेत्रों/गतिविधियों के लिए उदारीकृत एफडीआई सीमा निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र पर एफडीआई नीति को आसान बना दिया है।
बयान के अनुसार, संशोधित नीति के तहत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है।
निजी क्षेत्र की बढ़ी हुई भागीदारी से रोजगार पैदा करने, आधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया है, “इसके साथ कंपनियां सरकार की ‘मेक इन इंडिया (एमआईआई)’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को प्रोत्साहित करते हुए देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सक्षम होंगी।”
–आईएएनएस
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