नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)। इंडी गठबंधन के दलों की तुष्टिकरण की पराकाष्ठा ऐसी की पीएम मोदी पर निशाना साधते-साधते गठबंधन के लगभग सभी दलों के नेता अब सनातन धर्म पर निशाना साधने लगे हैं। राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के क्रम में मध्य प्रदेश में हैं।
यहां उज्जैन में महाकाल के मंदिर में पहुंचने से कुछ घंटे पहले ही एक बार फिर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए प्रभु राम को लेकर विवादित बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि ”मोदी चाहते हैं कि आप दिनभर जय श्री राम बोलो और भूखे मर जाओ।”
विपक्षी गठबंधन के दलों के लिए यह हालांकि कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी एक खास वोट बैंक को साधने के लिए और अपनी तुष्टिकरण की राजनीति को आगे जारी रखने के लिए इस गठबंधन के दलों के नेताओं के द्वारा सनातन धर्म के साथ ही देश को लेकर लगातार विवादित बयान दिए जाते रहे हैं।
तमिलनाडु की पार्टी द्रमुक के नेता तो इस मामले में सबसे आगे हैं। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी द्रमुक के नेताओं का कथित सनातन और देश विरोधी बयान देने का सिलसिला रूका नहीं है।
दरअसल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देते हुए इसकी तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना वायरस से की थी और इसे जड़ से खत्म कर देना चाहिए ऐसा कहा था। इसके बाद उनके खिलाफ कई राज्यों में मामले दर्ज हुए थे। उदयनिधि स्टालिन सुप्रीम कोर्ट में इन सभी मामलों को एक साथ जोड़ने की गुहार लेकर पहुंचे थे कि उन्हें यहां से जमकर फटकार लग गई।
सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि से पूछा कि, ”आपने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। आप जानते हैं कि आपने क्या कहा है? आपको इसके नतीजों का एहसास होना चाहिए था, आप एक मंत्री हैं, कोई आम आदमी नहीं हैं।”
न्यायालय की इतनी तल्ख टिप्पणी के बाद भी द्रमुक नेता कहां मानने वाले हैं। उदयनिधि को मिली फटकार से ए राजा को कोई फर्क नहीं पड़ा और राजा ने कथित देश विरोधी और सनातन विरोधी बयान दे दिया। सोमवार को ए राजा के द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान कथित देश विरोधी बयान वाला वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वह कह रहे हैं ”अगर आप कहेंगे प्रभु श्रीराम ही आपके ईश्वर हैं और भारत माता की जय है, तो हम भगवान राम और भारत माता की जय को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, तमिलनाडु स्वीकार नहीं करेगा। आप जाकर कहो, हम प्रभु श्रीराम के शत्रु हैं। मुझे रामायण और भगवान राम पर भरोसा नहीं है।’ इसके अलावा ए राजा ने भगवान हनुमान की तुलना बंदर से कर दी और ‘जय श्री राम’ के नारे को घृणास्पद बोल दिया।”
दूसरे वीडियो में डीएमके नेता ए राजा कह रहे हैं, ”भारत एक राष्ट्र नहीं है, इस बात को अच्छे से समझ लें। भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है।” पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा ने भारत को उपमहाद्वीप बताने का कारण बताया और कहा, यहां तमिल एक राष्ट्र और एक देश है, मलयालम एक भाषा, एक राष्ट्र और एक देश है। उड़िया एक राष्ट्र, एक भाषा और एक देश है। ये सभी राष्ट्र मिलकर भारत बनाते हैं। तो, भारत देश नहीं है यह एक उपमहाद्वीप है। यहां बहुत सारी परंपराएं और संस्कृतियां हैं। अगर आप तमिलनाडु आते हैं, तो वहां की एक संस्कृति है। इसी तरह केरल, दिल्ली, ओडिशा में एक और संस्कृति है। इसी तरह कश्मीर में भी एक संस्कृति है। इसे स्वीकार करें। मणिपुर में लोग कुत्ते का मांस खाते हैं, इस बात को स्वीकार करें। अगर कोई समुदाय गोमांस खाता है, तो आपको क्या समस्या है? क्या उन्होंने आपसे खाने के लिए कहा? अतः अनेकता में एकता। हमारी संस्कृति अलग है, इसे स्वीकार करें।”
हालांकि, ए राजा की तरह ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी भारत को एक राष्ट्र नहीं मानते हैं, उन्होंने अपने बयान में कहा था कि ”संविधान के अनुसार, भारत राष्ट्र नहीं है। इसके बजाय इसे राज्यों के संघ के रूप में वर्णित किया गया है।”
दरअसल, ए राजा का यह सनातन के खिलाफ कोई पहला बयान नहीं हैं। उदयनिधि स्टालिन के सनातन विरोधी बयान के साथ ही ए राजा ने भी उनके समर्थन में विवादित बयान दिया था। उन्होंने चेन्नई में सनातन धर्म की तुलना एचआईवी और कोढ़ से कर दी थी। जिसको लेकर पूरे देश में बवाल मचा था।
तब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने भी उदयनिधि के बयान का समर्थन करते हुए सनातन के खिलाफ बयान दिया था और कहा था कि कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता, मानव की गरिमा सुनिश्चित नहीं करता वह धर्म नहीं है। जो धर्म समान अधिकार नहीं देता या इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता, वह बीमारी के समान है।
कांग्रेस के नेता कार्ति चिदंबरम ने भी उदयनिधि स्टालिन के बयान का तब समर्थन किया था। कार्ति ने तब कहा था कि सनातन धर्म जातिगत भेदभाव पर आधारित समाज के लिए एक संहिता के अलावा और कुछ नहीं है। सनातन धर्म के पैरोकार पुराने दौर को वापस लाने की कोशिश में हैं। जाति भारत के लिए अभिशाप है।
हालांकि इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों में द्रमुक के नेता ही नहीं हैं जो सनातन और देश के खिलाफ विवादित बयान देते रहे हैं। बल्कि कांग्रेस, राजद, सपा समेत कई दलों के नेताओं के इस तरह के बयान लगातार मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं।
इसके ठीक एक दिन पहले पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के तारकेश्वर से विधायक रामेंदु सिन्हारे ने भी भगवान राम और अयोध्या राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया। एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिन्हारे ने कहा, “मुझे ऐसा लगता है कि किसी भी हिंदू को राम मंदिर में पूजा करने नहीं जाना चाहिए। मेरे हिसाब से यह एक अपवित्र जगह है। यहां सब कुछ दिखावटी है।”
समाजवादी पार्टी का हाल ही में दामन छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने तो रामायण, प्रभु श्रीराम को लेकर कई बार विवादित बयान दिए। उन्होंने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करने वाले लोगों को ड्रामा करने वाला तक बता दिया था। मौर्य ने तब विवादित बयान देते हुए कहा था उन्हें प्राण प्रतिष्ठा करनी है तो वह अपने परिवार के मरने वाले मुर्दे की प्राण प्रतिष्ठा करें, जिससे वह पुनः जीवित होकर परिवार का सदस्य बन सके।
इससे पहले बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और राजद के नेता डा. चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस को पोटेशियम साइनाइड कहा था, इसके साथ ही उन्होंने तब कहा था कि जब तक यह रहेगा तब तक इसका विरोध करते रहेंगे।
हालांकि चंद्रशेखर के साथ ही इसी लिस्ट में राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम भी शामिल है। तेजस्वी यादव ने अयोध्या राम मंदिर का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि ”जहां देखे राम मंदिर, राम मंदिर, राम मंदिर हो रहा है। अगर भूख लगेगा तो मंदिर जाइएगा, वहां खाना मिलेगा क्या? वहां तो दान देना पड़ता है। बीमार पड़ोगे तो अस्पताल जाओगे ने? आप लोगों को जागना होगा।”
दरअसल, इंडी गठबंधन के दलों के नेताओं के द्वारा सनातन धर्म को टारगेट करने के पीछे एक तरह से वोट बैंक की राजनीति स्पष्ट नजर आ रही है। भाजपा को जहां यही विपक्षी दल मान रहे हैं कि वह देश में हिंदुत्व की राजनीति कर रही है तो ऐसे में उनके लिए अब वोट बैंक के लिए टारगेट इससे अलग है। ऐसे में वह इसे ही ध्यान में रखकर इस तरह की बयानबाजी करते रहे हैं। ताकि वह हिंदुत्व की विचारधारा का समर्थन नहीं करने वाले लोगों को अपने साथ जोड़ सकें।
–आईएएनएस
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