नई दिल्ली, 6 मार्च (आईएएनएस)। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के कांस्टेबल वासुदेव पांचाल ने डिप्रेशन के कारण आत्महत्या का प्रयास किया था। इसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एसएसबी कांस्टेबल को बहाल करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने एसएसबी अधिकारियों की आलोचना की, क्योंकि उन्होंने मानसिक बीमारी को ‘बुरा आचरण’ माना और कांस्टेबल के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाई।
अदालत ने कांस्टेबल को 89 दिनों की कठोर कारावास की सजा देने को अनुचित ठहराया, खासकर तब जब वासुदेव पांचाल पहले से ही मनोरोग उपचार के अधीन था।
न्यायाधीश ने एसएसबी के जवानों द्वारा सामना किए जाने वाले तनाव पर जोर दिया, जो व्यक्तिगत समस्याओं के साथ गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
17 अक्टूबर 2018 को पांचाल को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद उनकी अपीलों को खारिज कर दिया गया। इसे उनके कथित कदाचार के लिए ‘अत्यधिक असंगत’ माना गया।
हाईकोर्ट ने पांच सालों में पांचाल की निरंतर पीड़ा की ओर भी इशारा किया।
अदालत ने आरोपों पर विचार करने के बाद फैसला सुनाया कि सेवा से बर्खास्तगी की सजा पांचाल के कथित आचरण के लिए अत्यधिक अनुपातहीन थी। इसलिए, बर्खास्तगी के आदेश के साथ-साथ सजा को बरकरार रखने वाले अपीलीय प्राधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया जाता है।
कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता को सभी लाभों के साथ सेवा में बहाल करने का आदेश दिया जाता है। याचिकाकर्ता वासुदेव पांचाल की ओर से अधिवक्ता आंचल आनंद पेश हुईं थीं।
–आईएएनएस
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