नई दिल्ली, 9 मार्च (आईएएनएस)। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने दो हजार करोड़ रुपये की ड्रग्स तस्करी के मामले में द्रमुक के पूर्व पदाधिकारी जाफर सादिक को गिरफ्तार किया है।
एनसीबी ने कहा कि उसने शनिवार को ड्रग “दिग्गज” को पकड़ा।
द्रमुक के एनआरआई सेल के पूर्व पदाधिकारी सादिक ने फिल्में भी बनाई हैं। वह पिछले कुछ समय से फरार था। एक सप्ताह पहले एनसीबी ने उसके कुछ सहयोगियों को गिरफ्तार किया था।
इस रैकेट का भंडाफोड़ तब हुआ जब न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने भारतीय एजेंसियों को सूचित किया कि खाद्य उत्पादों में छिपाकर उनके देशों में तस्करी का ड्रग्स भेजा जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय ड्रग कार्टेल के साथ संबंधों की खबरों के बीच सादिक को द्रमुक से बर्खास्त कर दिया गया था।
एनसीबी के उप महानिदेशक, ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा कि विशिष्ट खुफिया जानकारी जुटाने के बाद, उन्होंने फरवरी 2024 में एनसीबी द्वारा भंडाफोड़ किए गए मादक पदार्थों की तस्करी नेटवर्क के सरगना सादिक को गिरफ्तार किया।
सादिक 15 फरवरी से फरार था, जब एनसीबी ने एवेंटा कंपनी नामक फर्म के गोदाम से 50.07 किलोग्राम स्यूडोफेड्रिन जब्त किया था और सादिक के तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया था।
सिंह ने कहा, “एनसीबी ने सादिक के फरार होने के बाद उसे पकड़ने के लिए गहन प्रयास किए थे। हम उसका पता लगाने में सफल रहे और उसे दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया।”
एनसीबी के अनुसार, सादिक ने एक नेटवर्क का नेतृत्व करता था जो देश में स्यूडोफेड्रिन का स्रोत था और खाद्य-ग्रेड कार्गो की आड़ में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मलेशिया में इसकी तस्करी करता था।
सिंह ने कहा, “ऐसा माना जाता है कि उसके द्वारा संचालित ड्रग सिंडिकेट ने पिछले तीन वर्षों में विभिन्न देशों में 45 खेप भेजी है, जिसमें लगभग 3,500 किलोग्राम स्यूडोफेड्रिन है।”
सादिक ने यह भी खुलासा किया है कि उसने अवैध मादक पदार्थों की तस्करी के संचालन से भारी मात्रा में पैसा कमाया है और इसे फिल्म, निर्माण, आतिथ्य आदि उद्योगों में वैध व्यवसायों में निवेश किया है।
सिंह ने कहा, “मादक पदार्थों की तस्करी में उसके वित्तीय संबंधों की जांच की जा रही है ताकि उनके धन के स्रोतों और ड्रग्स की आय के लाभार्थियों की पहचान की जा सके। जांच अभी भी चल रही है।”
स्यूडोफेड्रिन का इस्तेमाल मेथमफेटामाइन के निर्माण में किया जाता है, जो एक खतरनाक और अत्यधिक नशे की लत वाली सिंथेटिक दवा है।
हालांकि इसके कुछ वैध उपयोग हैं, लेकिन इसे भारत में एक नियंत्रित पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके उत्पादन, भंडारण, व्यापार, निर्यात और उपयोग पर सख्त नियम हैं। 1985 के एनडीपीएस अधिनियम के तहत अवैध कब्ज़ा और व्यापार करने पर 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
–आईएएनएस
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