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Home राष्ट्रीय

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार को हटाया, विवेक सहाय को दी जिम्मेदारी (लीड-1)

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March 18, 2024
in राष्ट्रीय
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चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार को हटाया, विवेक सहाय को दी जिम्मेदारी (लीड-1)
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कोलकाता, 18 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी विवेक सहाय पश्चिम बंगाल में नए पुलिस महानिदेशक होंगे, वह कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को हटाने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

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जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

–आईएएनएस

एकेजे/

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कोलकाता, 18 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी विवेक सहाय पश्चिम बंगाल में नए पुलिस महानिदेशक होंगे, वह कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को हटाने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

–आईएएनएस

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

–आईएएनएस

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कोलकाता, 18 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी विवेक सहाय पश्चिम बंगाल में नए पुलिस महानिदेशक होंगे, वह कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को हटाने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

–आईएएनएस

एकेजे/

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कोलकाता, 18 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी विवेक सहाय पश्चिम बंगाल में नए पुलिस महानिदेशक होंगे, वह कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को हटाने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

–आईएएनएस

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कोलकाता, 18 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी विवेक सहाय पश्चिम बंगाल में नए पुलिस महानिदेशक होंगे, वह कार्यवाहक डीजीपी राजीव कुमार की जगह लेंगे, जिन्हें भारतीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को हटाने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

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हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

उन्हें कुर्सी से हटाए जाने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इस कदम का स्वागत किया है। भाजपा के राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा, “कुमार के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कुर्सी से हटाना अपरिहार्य था। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने शायद कुछ ध्यान में रखते हुए उन्हें नियुक्त किया।”

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “अन्यथा एक कुशल पुलिस अधिकारी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए मेरा सिर्फ एक सवाल है। किस बात ने उन्हें इस स्तर तक गिरने पर मजबूर कर दिया कि उनकी छवि बार-बार धूमिल हुई। लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने इससे कोई सबक नहीं लिया है।”

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चुनाव आयोग ने 1988 बैच के अधिकारी और वर्तमान में होम गार्ड के महानिदेशक तथा कमांडेंट जनरल सहाय को नामित किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर 2022 में सुरक्षा के उल्लंघन के बाद उन्हें निदेशक, सुरक्षा के पद से हटा दिया गया था।

जब 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल सहाय की जगह कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया गया था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने राजीव कुमार के प्रतिस्थापन के रूप में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम माँगे थे।

सहाय के अलावा संजय मुखर्जी (1989 बैच) और डॉ. राजेश कुमार (1990 बैच) के नाम भेजे गये थे।

हालाँकि, आयोग ने सहाय को तीनों में सबसे वरिष्ठ के रूप में चुना।

आयोग ने राजीव कुमार को उनके पद से हटाने के साथ ही यह भी कहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की किसी भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। कार्यवाहक डीजीपी बनाए जाने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें हटा दिया गया।

राजीव कुमार का नाम पहले भी कई बार विवादों में आया है। सारदा चिटफंड घोटाले वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जाँच के घेरे में आ गए थे।

वर्ष 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें दो बार कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त के रूप में प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, चुनाव के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर उसी पद पर बहाल कर दिया था।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के शीर्ष अधिकारियों की हालिया पश्चिम बंगाल यात्रा के दौरान लगभग सभी विपक्षी दलों ने कुमार के खिलाफ शिकायत की थी और उन पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है।

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