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Home Today's Special News

पारसनाथ पहाड़ी पर अधिकार के लिए आदिवासी संगठन ने झारखंड में कई स्थानों पर रेल ट्रैक जाम किया, दर्जन भर ट्रेनें रद्द

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February 11, 2023
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पारसनाथ पहाड़ी पर अधिकार के लिए आदिवासी संगठन ने झारखंड में कई स्थानों पर रेल ट्रैक जाम किया, दर्जन भर ट्रेनें रद्द
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रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरू) का स्वामित्व आदिवासियों को देने सहित पांच मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के कार्यकतार्ओं ने शनिवार को झारखंड में कई जगहों पर रेल ट्रैक जाम कर दिया। इस कारण ट्रेन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। एक दर्जन ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों का रूट डायवर्ट करना पड़ा। झारखंड में इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर चक्रधरपुर रेल मंडल में पड़ा। आदिवासी सेंगल अभियान के नेताओं ने दावा किया है कि यह आंदोलन एक साथ पांच राज्यों में चलाया जा रहा है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

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दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

–आईएएनएस

एसएनसी/सीबीटी

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रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरू) का स्वामित्व आदिवासियों को देने सहित पांच मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के कार्यकतार्ओं ने शनिवार को झारखंड में कई जगहों पर रेल ट्रैक जाम कर दिया। इस कारण ट्रेन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। एक दर्जन ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों का रूट डायवर्ट करना पड़ा। झारखंड में इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर चक्रधरपुर रेल मंडल में पड़ा। आदिवासी सेंगल अभियान के नेताओं ने दावा किया है कि यह आंदोलन एक साथ पांच राज्यों में चलाया जा रहा है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

–आईएएनएस

एसएनसी/सीबीटी

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रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरू) का स्वामित्व आदिवासियों को देने सहित पांच मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के कार्यकतार्ओं ने शनिवार को झारखंड में कई जगहों पर रेल ट्रैक जाम कर दिया। इस कारण ट्रेन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। एक दर्जन ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों का रूट डायवर्ट करना पड़ा। झारखंड में इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर चक्रधरपुर रेल मंडल में पड़ा। आदिवासी सेंगल अभियान के नेताओं ने दावा किया है कि यह आंदोलन एक साथ पांच राज्यों में चलाया जा रहा है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

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आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

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आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

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आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

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रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरू) का स्वामित्व आदिवासियों को देने सहित पांच मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के कार्यकतार्ओं ने शनिवार को झारखंड में कई जगहों पर रेल ट्रैक जाम कर दिया। इस कारण ट्रेन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। एक दर्जन ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों का रूट डायवर्ट करना पड़ा। झारखंड में इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर चक्रधरपुर रेल मंडल में पड़ा। आदिवासी सेंगल अभियान के नेताओं ने दावा किया है कि यह आंदोलन एक साथ पांच राज्यों में चलाया जा रहा है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

–आईएएनएस

एसएनसी/सीबीटी

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रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरू) का स्वामित्व आदिवासियों को देने सहित पांच मांगों को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के कार्यकतार्ओं ने शनिवार को झारखंड में कई जगहों पर रेल ट्रैक जाम कर दिया। इस कारण ट्रेन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। एक दर्जन ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों का रूट डायवर्ट करना पड़ा। झारखंड में इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर चक्रधरपुर रेल मंडल में पड़ा। आदिवासी सेंगल अभियान के नेताओं ने दावा किया है कि यह आंदोलन एक साथ पांच राज्यों में चलाया जा रहा है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकतार्ओं ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास जगह-जगह रेलवे लाइन को जाम कर दिया। इसके कारण हावड़ा मुंबई मुख्य मार्ग पर लगभग तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। रेलवे को खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, टाटा-दानापुर, टाटा-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो तथा अन्य स्टेशनों के बीच चलने वाली एक दर्जन ट्रेनें कैंसल कर दी गईं। टाटानगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाया गया।

दानापुर जाने वाले के यात्रियों को बिलासपुर पटना साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा पुणे दुरंतो और इस्पात एक्सप्रेस के यात्रियों को टाटा इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला जाकर लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेनें रद्द होने और रूट बदले जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई स्टेशनों पर हंगामा किया है। सुरक्षा बल और लोकल पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से समर्थकों को हटाया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना का बाद यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासी अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पहाड़ी पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराए, वरना आदिवासी बाबरी मस्जिद की तर्ज पर जैन मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।

उधर, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। आदिवासी नेताओं का हुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गया। एसडीपीओ मनोज कुमार, नौशाद आलम समेत सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों वार्ता की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को पहुंचाया जाएगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेताओं और समर्थकों का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने उतरा, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और पैसेंजर ट्रेनों के स्टेशन से गुजरने का वक्त था।

इसकी जानकारी होने से डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक को खाली कराया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टुडू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने शनिवार को ट्रेन और सड़क यातायात रोका है।

–आईएएनएस

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