भोपाल, 3 मई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव का प्रचार चरम पर है। इस बार के चुनाव प्रचार में कांग्रेस की बुजुर्ग पीढ़ी नदारद नजर आ रही है। प्रचार की कमान पूरी तरह नई पीढ़ी ने संभाल रखी है।
राज्य में लोकसभा चुनाव के दो चरणों के मतदान हो चुके हैं और अब दो चरणों में 17 लोकसभा सीटों पर मतदान होने हैं। कांग्रेस ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। अधिकांश बुजुर्ग नेता या तो अपने चुनाव क्षेत्र में सिमट कर रह गए हैं या अपने करीबियों के क्षेत्र तक मुश्किल से प्रचार करने पहुंच पा रहे हैं।
कांग्रेस की बुजुर्ग पीढ़ी के नेताओं में मुख्य तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह शामिल हैं। कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं और वहां पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान हो चुका है।
उसके बाद कमलनाथ एक दो संसदीय क्षेत्र में ही प्रचार करने पहुंचे। दिग्विजय सिंह राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। स्थिति यह है कि वह अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर नहीं जा पा रहे हैं।
राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष की कमान जहां जीतू पटवारी को सौंपी गई, वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को बनाया गया। चुनाव प्रचार में इन दो नेताओं के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की सक्रियता नजर आ रही है। ये चारों नेता कई स्थानों का एक साथ दौरा कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने जहां लोकसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका दिया है, वहीं प्रचार में भी नई पीढ़ी को आगे लाया है। यह बात अलग है कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के बीच चल रही तनातनी बीच-बीच में सामने आ जाती है। इसके बावजूद कांग्रेस की युवा पीढ़ी एकजुट दिखने की कोशिश में जुटी है। चुनावी नतीजे कुछ भी हो, मगर कांग्रेस ने नई पीढ़ी को आगे लाने का काम जरूर किया है।
–आईएएनएस
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