नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)। एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि बायोडिग्रेडेबल टी बैग भी प्लास्टिक की तरह ही पर्यावरण के लिए खतरनाक है।
मकई स्टार्च या गन्ने का उपयोग कर बनाए गए सभी बायोडिग्रेडेबल टी बैग सेहत के लिए सही नहीं हैं। अक्सर इन्हें प्लास्टिक के खिलाफ सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। लेकिन ये मिट्टी में नष्ट नहीं होते। इनमें स्थलीय प्रजातियों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है।
यूके में प्लायमाउथ और बाथ विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) की तीन अलग-अलग रचनाओं का उपयोग कर बनाए गए आम तौर पर उपलब्ध टी बैग्स को देखा, जिन्हें सात महीने तक मिट्टी में दबाया गया। पूरी तरह से पीएलए से बने टी बैग वैसे के वैसे ही थे।
सेलूलोज और पीएलए के संयोजन से बने दो प्रकार के टी बैग छोटे टुकड़ों में टूट गए और पीएलए घटक शेष रहने पर उनके कुल द्रव्यमान का 60 से 80 प्रतिशत तक नष्ट हो गया।
प्लायमाउथ विश्वविद्यालय की मुख्य लेखिका विनी कर्टेन जोन्स ने कहा कि प्लास्टिक अपशिष्ट संकट के जवाब में पीएलए जैसे बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का उपयोग तेजी से किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फेलो विनी ने कहा, ”यह अध्ययन ऐसी सामग्रियों के क्षरण और संभावित प्रभावों की आवश्यकता पर जोर देता है ताकि इनके उपयोग से होने वाली समस्याओं को रोका जा सके।”
टीम ने केंचुए की एक प्रजाति ईसेनिया फेटिडा पर टी बैग्स से काटे गए डिस्क के प्रभावों की भी जांच की, जिसकी मिट्टी के पोषक तत्वों में महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह कार्बनिक पदार्थों का उपभोग करता है।
साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित नतीजों से पता चला है इनका उपयोग पर्यावरण के लिए खतरनाक तो है ही, साथ ही यह मौत के खतरे को भी बढ़ा देते हैं।
–आईएएनएस
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