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गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति की रोबोटिक सर्जरी ने बचाई जान

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June 7, 2024
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गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति की रोबोटिक सर्जरी ने बचाई जान
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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

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3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/एबीएम

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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/एबीएम

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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/एबीएम

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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

–आईएएनएस

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कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)। कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के चिकित्सकों ने एडवांस्ड रोबोटिक सर्जरी से गुर्दे के ट्यूमर से पीड़ित 70 वर्षीय व्यक्ति को जीवनदान दिया।

चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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चिकित्सकों ने मरीज दुलाल दत्ता के घातक ट्यूमर का पता लगाया, जो उसके शरीर की सबसे बड़ी नस और उसके दाहिने गुर्दे को प्रभावित कर रहा था।

3 सेमी का ट्यूमर थ्रोम्बस इन्फीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस) से फैलकर 6 सेमी x 5.5 सेमी x 5 सेमी माप वाले दाहिने गुर्दे तक फैल गया।

इसके कारण मरीज के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो गई। साथ ही दायां गुर्दा 12 सेमी x 7 सेमी x 6 सेमी तक बढ़ गया। आमतौर पर मानव के गुर्दे का सामान्य आकार लगभग 10 सेमी x 5 सेमी x 3 सेमी होता है। रोगी पहले से ही गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित था।

डॉक्टरों ने मरीज के इलाज के लिए रोबोटिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी विद इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) थ्रोम्बेक्टोमी का सहारा लिया। सर्जरी से बड़े ट्यूमर को हटाने में मदद मिली। सर्जरी के बाद मरीज को पांच दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

कोलकाता के अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल ने कहा, ”रोबोटिक तकनीक ने एक बार फिर से जटिल ट्यूमर हटाने का काम किया है। सटीक और कम नुकसान केे साथ रोबोटिक सर्जरी सावधानीपूर्वक ट्यूमर को हटाने के लिए उल्लेखनीय क्षमता प्रदान करती है।”

उन्‍होंने कहा, ”सर्जरी की व्यापक प्रकृति के बावजूद उपचार के बाद मरीज की तेजी से रिकवरी हुई और वह सामान्य जीवन में वापस आ गया। यह पद्धति न केवल सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाती है बल्कि यह पोस्टऑपरेटिव जटिलताओं को भी कम करती है।”

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