नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। संग्राम सिंह भारतीय पहलवान, एक्टर और एमएमए फाइटर भी हैं। संग्राम 38 साल की उम्र में एमएमए की दुनिया में प्रवेश करने वाले पहले भारतीय पुरुष एथलीट हैं।
पूर्व डब्ल्यूडब्ल्यूपी कॉमनवेल्थ हैवीवेट चैंपियन ने आईएएनएस से एक खास बातचीत में अपनी यात्रा, अपने करियर और एमएमए फाइटर में इतनी देर से एंट्री के बारे में बात की।
संग्राम सिंह ने आईएएनएस को बताया, “मैं अभी शुरुआत कर रहा हूं। मेरा मानना है कि यूएफसी और एमएमए दोनों बहनें हैं। यूएफसी ने भी मुझसे संपर्क किया था, लेकिन मेरा मानना है कि मुझे एमएमए से शुरुआत करनी चाहिए। जब अपने देश का प्रतिनिधित्व करने की बात आती है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां खेलते हैं, इसलिए निश्चित रूप से यूएफसी मेरी भविष्य की योजनाओं में भी है।
“कोई मुझसे मजाक कर रहा था कि मैं क्रिकेट भी आज़माऊं। जीवन बहुत छोटा है, इसलिए आपको हर मौके पर दूसरों को प्रेरित करने की कोशिश करनी चाहिए, और मेरा मानना है कि जीने का सबसे अच्छा तरीका निस्वार्थ जीवन जीना है।”
कई सालों की कड़ी मेहनत और 25 साल से ज़्यादा के शानदार करियर के बाद एक मजबूत शरीर पाने के बावजूद, पूर्व कुश्ती चैंपियन ने खुलासा किया कि उनका जीवन आसान नहीं रहा है। उन्होंने खुद को कभी हार न मानने के लिए कैसे प्रेरित किया और उन्होंने लड़ाकू खेलों के क्षेत्र में वापसी करने का फैसला क्यों किया।
संग्राम छह साल से कुश्ती से दूर थे और हाल ही में उन्होंने दुबई प्रो रेसलिंग चैंपियनशिप में पाकिस्तान के मुहम्मद सईद को हराकर कुश्ती में वापसी की। उनका लक्ष्य एमएमए के साथ-साथ कुश्ती में भी अपना करियर जारी रखना है।
–आईएएनएस
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