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Home मनोरंजन

भाजपा की सफलता के तीन साल और आगे चुनौती कम नहीं

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February 16, 2023
in मनोरंजन
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भाजपा की सफलता के तीन साल और आगे चुनौती कम नहीं
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भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

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पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

–आईएएनएस

एसएनपी/एएनएम

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भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

–आईएएनएस

एसएनपी/एएनएम

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भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

–आईएएनएस

एसएनपी/एएनएम

भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

–आईएएनएस

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भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

–आईएएनएस

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भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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भोपाल, 16 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए बीते तीन साल काफी अहम रहे हैं, इस दौरान जहां पार्टी की सत्ता में वापसी हुई है, तो वहीं संगठन का नया स्वरुप मिला है। पार्टी के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे रहेंगे, ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा और फिर लोकसभा के चुनाव जो होना है।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के दौर में छात्र राजनीति में जबलपुर में सक्रिय रहे समाजवादी नेता गोविंद यादव का कहना है कि शर्मा शुरू से ही जुझारु किस्म के नेता रहे हैं, छात्र हित के लिए लड़ने में उनका कोई सानी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सफल नेतृत्व के चलते ही प्रदेश और देश में पहचान मिली थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य में जिस अंदाज में काम किया है। उसके चलते वे भाजपा में अपनी पुख्ता जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा के सत्ता से बाहर होना पड़ा था और कांग्रेस सत्ता में डेढ़ दशक बाद आई थी। उसके बाद पार्टी के संगठन में बदलाव हुआ और प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा को सौंपी गई। उसके बाद कांग्रेस में टूट हुई और पार्टी की सत्ता में वापसी हुई।

पार्टी की जहां सत्ता में वापसी हुई थी तो वहीं उप-चुनावों में बड़ी जीत मिली, उसके बाद हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव में भी पार्टी के हिस्से में सफलताएं आईं। हां यह जरुर है कि पार्टी के महापौर पद के चुनाव में 16 में से नौ स्थानों पर जीत मिली। भाजपा का शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर यही कहा गया था कि वे पार्टी के लिए शुभांकर साबित हुए है। उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि उनके कार्यकाल में विस्तार हो सकता है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर शर्मा के हिस्से में जहां सफलताएं आई है तो वहीं उन्होंने नवाचार किए हैं, जिसके चलते राज्य के संगठन के राष्टीय स्तर पर सराहा गया है। बूथ विस्तारक अभियान, बूथ का डिजिटलाइजेशन और घर-घर तक दस्तक देने के अभियान ने पार्टी को जमीनी स्तर पर भी मजबूती दी है।

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शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1986 में सक्रिय हुए, जहां वह 2013 तक रहे। इस दौरान राष्ट्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री जैसे पदों की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। वर्ष 2013 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा की प्रदेश इकाई में वह वर्ष 2016 से प्रदेश महामंत्री बने। उसके बाद उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी 16 फरवरी 2023 को मिली।

राज्य में इसी साल विधानसभा के और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है। इस लिहाज से राज्य में भाजपा के लिए आने वाला समय चुनौती भरा होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है। संगठन के मामले में भाजपा मजबूत है मगर सरकार और मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी कम नहीं हुई तो चुनाव की राह आसान नहीं रहने वाली।

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