नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी राज्यों में मृत शरीर से अंग लेकर किसी और के शरीर में प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाले नियमों में एकरूपता की मांग वाली याचिका पर विचार करे।
याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी राज्यों में मृत शरीर से अंग लेकर किसी और के शरीर में प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाले नियमों में एकरूपता की मांग वाली याचिका पर विचार करे।
याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी राज्यों में मृत शरीर से अंग लेकर किसी और के शरीर में प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाले नियमों में एकरूपता की मांग वाली याचिका पर विचार करे।
याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी राज्यों में मृत शरीर से अंग लेकर किसी और के शरीर में प्रत्यारोपण को नियंत्रित करने वाले नियमों में एकरूपता की मांग वाली याचिका पर विचार करे।
याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
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याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
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पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।
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याचिका गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन नामक एक संगठन ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में शामिल न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के संबंध में नियमों में एकरूपता का अभाव है।
याचिका में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के नियमों में एकरूपता लाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, हालांकि वह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से अनुरोध मानकर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हुई।
पीठ ने कहा कि वह याचिकाओं को खारिज नहीं कर रही है, क्योंकि मुख्य मुद्दा अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र को लेकर है, जो राज्यों द्वारा लगाया गया है।
पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी। कार्रवाई के उचित कारण को शीघ्रता से अपनाने के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाएगा।
दलील में तर्क दिया गया कि मृत अंग प्रत्यारोपण के मामले में एक राज्य में अंग प्राप्तकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए एक अधिवास प्रमाणपत्र की जरूरत बताना मनमानी थी।