deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home ब्लॉग

गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतें डिमेंशिया के जोखिम को करती हैं कम

by
July 22, 2024
in ब्लॉग
0
गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतें डिमेंशिया के जोखिम को करती हैं कम
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

READ ALSO

पिछले वर्ष 72 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर एआई आधारित साइबर हमले हुए: रिपोर्ट

बेसिक की अपेक्षा फिटनेस सेंटर, क्लबहाउस जैसी आधुनिक सुविधाओं वाले घरों की बढ़ रही मांग : रिपोर्ट

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है।

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है।

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती। वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है। जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है।

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते।

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है।

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है।

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

Related Posts

ब्लॉग

पिछले वर्ष 72 प्रतिशत भारतीय कंपनियों पर एआई आधारित साइबर हमले हुए: रिपोर्ट

June 10, 2025
ब्लॉग

बेसिक की अपेक्षा फिटनेस सेंटर, क्लबहाउस जैसी आधुनिक सुविधाओं वाले घरों की बढ़ रही मांग : रिपोर्ट

June 10, 2025
ब्लॉग

भारती एयरटेल ने पैन इंडिया नेटवर्क के लिए एरिक्सन के साथ किया समझौता

June 10, 2025
ब्लॉग

भारतीय रियल एस्टेट मार्केट ग्लोबल वर्कस्पेस की मांग को पूरा करने के लिए तैयार: रिपोर्ट

June 10, 2025
ब्लॉग

भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से स्विटजरलैंड और स्वीडन के लिए रवाना हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

June 10, 2025
ब्लॉग

शेयर बाजार हरे निशान में बंद, निफ्टी बैंक ऑल टाइम हाई पर

June 10, 2025
Next Post
मध्य प्रदेश कांग्रेस जमीनी हालात की जानकारी जुटा रही

मध्य प्रदेश कांग्रेस जमीनी हालात की जानकारी जुटा रही

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

083687
Total views : 5888004
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In