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गैस्ट्रिक समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है प्रोटीन युक्त आहार? जानें विशेषज्ञों की राय

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July 29, 2024
in ब्लॉग
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गैस्ट्रिक समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है प्रोटीन युक्त आहार? जानें विशेषज्ञों की राय
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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

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फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

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आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

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मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

एमकेएस/

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से गैस्ट्रो और किडनी की समस्याएं नहीं होतीं, जबकि उच्च कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार लेने से स्वास्थ्य को कई गंभीर नुकसान हो सकता है।

आमतौर पर देश में प्रोटीन का सेवन कम किया जाता है। लेकिन यदि भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ भी जाती है तो इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। यह किडनी पर भी कोई असर नहीं डालता।

फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित नवीनतम मेटा विश्लेषण के अनुसार, उच्च प्रोटीन आहार लेने से क्रोनिक किडनी रोगों का खतरा कम होता है।

मेटाबोलिक हेल्थ कोच शशिकांत अयंगर ने आईएएनएस को बताया, “उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार अक्सर एसिड रिफ्लक्स का कारण बनते हैं, जबकि प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से कार्बोहाइड्रेट की खपत कम करके इसे कम किया जा सकता है। इसके विपरीत उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला आहार मधुमेह रोगियों में अनियंत्रित रक्त शर्करा का कारण बन सकता है, जो संभावित रूप से क्रोनिक बीमारी का भी कारण बन सकता है।”

हैदराबाद के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. सुधीर कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोटीन की अनुशंसित मात्रा लेना स्वस्थ किडनी के लिए खतरनाक नहीं है।”

उन्होंने बताया, “वयस्कों के लिए न्यूनतम, मध्यम और गहन शारीरिक गतिविधि में लगे लोगों के लिए अनुशंसित प्रोटीन का सेवन क्रमशः 1 ग्राम, 1.3 ग्राम और 1.6 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से है।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा जारी हाल के दिशानिर्देशों के अनुसार स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रोटीन सेवन के लिए अनुशंसित आहार 0.83 ग्राम/किलोग्राम/दिन है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकांश भारतीय शायद ही कभी इस लक्ष्य को पूरा कर पाते हैं।

सर गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार और उपाध्यक्ष डॉ. पीयूष रंजन ने आईएएनएस को बताया, “कुल मिलाकर संतुलित आहार में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता और मात्रा शामिल होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा मात्रा में सेवन, खास तौर पर पशु प्रोटीन और व्यावसायिक सप्लीमेंट्स हानिकारक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि वयस्कों के लिए अनुशंसित प्रोटीन सेवन प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के लिए 1-2 ग्राम होता है और यह शारीरिक गतिविधि, उम्र, लिंग और अन्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

डॉ. रंजन ने कहा कि पशु और वनस्पति प्रोटीन अपने गुणों में थोड़े भिन्न होते हैं और पहले से ही किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सेवन बढ़ाना हानिकारक हो सकता है।

उन्‍होंने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। सबसे बड़ा जोखिम किडनी को नुकसान पहुंचाना है, खास तौर पर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। पशु प्रोटीन की अधिकता से यूरिक एसिड में भी वृद्धि हो सकती है जिससे किडनी में पथरी हो सकती है।”

इसके अलावा, प्रोटीन युक्त आहार को पेट फूलने और अन्य जठरांत्र संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है।

डॉ. रंजन ने कहा, “अत्यधिक प्रोटीन के सेवन से जठरांत्र संबंधी दुष्प्रभावों में आंत्र की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और मुंह से दुर्गंध (सांसों की बदबू) देखी जा सकती है।”

हालांकि अयंगर इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार के बाद एसिड रिफ्लक्स के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार निचली आहार नली में अधिक एसिड रिफ्लक्स उत्पन्न कर सकता है और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स वाले रोगियों में अधिक रिफ्लक्स लक्षण उत्पन्न कर सकता है।”

–आईएएनएस

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