नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल बच्चों में ज्यादातर मोटापे जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। यह एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है क्योंकि यह बाद की जिंदगी में खराब स्वास्थ्य का कारण बन सकता है।
आबादी का एक बड़ा हिस्सा छोटी उम्र के समूह का है, इसलिए बचपन में मोटापा एक बढ़ती चिंता का विषय बनता जा रहा है, जो आगे चलकर महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है।
विशेषज्ञों ने बचपन के मोटापे से जुड़े दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों और समय रहते इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया है।
मोटापे के प्रबंधन और रोकथाम में स्कूल आधारित शिक्षा और स्वस्थ भोजन कार्यक्रम जैसी पहल महत्वपूर्ण है। जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है, ताकि आगे चलकर इससे होने वाले जोखिमों से बचा जा सके। अगर समय रहते इस पर काम नहीं किया गया तो आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों में सर्जरी ही एक मात्र विकल्प रह जाती है।
सर गंगा राम अस्पताल में मिनिमल एवं बैरिएट्रिक तथा रोबोटिक सर्जरी के कंसल्टेंट डॉ. दक्ष सेठी ने आईएएनएस को बताया, ”हमारे देश में बचपन का मोटापा एक बड़ी समस्या है, क्योंकि हमारी युवा आबादी बहुत बड़ी है। मोटे बच्चों में आगे चलकर युवावस्था में भी मोटापे की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, जोड़ों में दर्द और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी कई चयापचय संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए, स्कूल आधारित पहलों के महत्व पर प्रकाश डाला है, जिसमें स्कूल मासिक रूप से बीएमआई पर नजर रखते हैं और परिवारों से इसके बारे में बात करते हैं। उन्होंने बच्चों में मोटापे की निगरानी और प्रबंधन के लिए इसी तरह के दृष्टिकोण को देश में अपनाने का सुझाव दिया।
उपचार के बारे में डॉ. सेठी ने बताया कि इसमें सबसे पहले जीवनशैली में बदलाव लाना महत्वपूर्ण हैं। बड़े बच्चों या विशिष्ट स्थितियों वाले लोगों के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने युवा अवस्था में वजन बढ़ने से दिल की बीमारियों के बारे में बात की। साथ ही इसके समाधान के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के साथ-साथ दीर्घकालिक हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए हर साल में स्वास्थ्य जांच करवाने पर भी जोर दिया गया है।
गोवा के मणिपाल अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में कंसल्टेंट डॉ. ज्योति कुसनूर ने आईएएनएस को बताया, “वयस्कता की शुरुआत में अधिक वजन उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और चयापचय संबंधी विकारों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। यह धमनियों में प्लाक के निर्माण में योगदान देता है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।”
उन्होंने संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और हानिकारक आदतों से बचने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, “रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर की निगरानी के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का शीघ्र पता लगाने और उनके प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।”
–आईएएनएस
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