नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। पेनल्टी शूटआउट में मैच और सेमीफाइनल में जगह दांव पर थी, और ग्रेट ब्रिटेन के सामने आठ सेकंड के समय के अंदर ‘पीआर श्रीजेश’ नाम की दीवार को भेदने का लक्ष्य था। ग्रेट ब्रिटेन इस दीवार को नहीं भेद पाया और पेरिस ओलंपिक के पुरुष हॉकी क्वार्टरफाइनल मैच में भारत के खिलाफ शूटआउट में 2-4 से हार गया।
यह श्रीजेश का 23वां पेशेवर शूटआउट और 13वीं जीत थी। यही कारण है कि ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ भारतीय खिलाड़ियों ने ड्रॉ हासिल करने और मैच को शूटआउट तक ले जाने पर पहले से ही जीत की तरह जश्न मनाया। उन्हें पता था कि उनका गोलकीपर उन्हें आगे बढ़ाएगा। क्योंकि लगभग दो दशकों से पीआर श्रीजेश यही कर रहे हैं।
मैच के बाद, श्रीजेश ने अपने प्रदर्शन को केवल ‘सामान्य’ बताया। लेकिन यह बहुत खास प्रदर्शन था। इस मैच में ग्रेट ब्रिटेन ने 21 शॉट्स लिए, 11 पेनल्टी कॉर्नर जीते और सिर्फ एक ही गोल किया। यह एक गोलकीपिंग मास्टर क्लास थी। पीआर ब्रजेश ने 92 प्रतिशत की दक्षता के साथ 11 सेव किए।
टूर्नामेंट से पहले ही श्रीजेश ने घोषणा कर दी थी कि यह उनके करियर का आखिरी ओलंपिक होगा। पूरी टीम ने भी ऐलान किया था कि वो श्रीजेश के लिए खेलेंगे। लेकिन अंततः, हर बार की तरह, श्रीजेश ही टीम के लिए खेलते नजर आए। पेरिस ओलंपिक में उन्होंने अर्जेंटीना और आयरलैंड जैसे मैचों में डिफेंस की कमजोरियों को अपने शानदार बचाव से छुपाया, तो ऑस्ट्रेलिया जैसे मैचों में अच्छी शुरुआत को और मजबूत किया। लेकिन उनका जादुई प्रदर्शन क्वार्टर फाइनल में आया।
श्रीजेश ने पूरे क्वार्टर फाइनल मैच में विपक्षी टीम की गेंद को कभी पैर से रोका, कभी डाइव लगाकर पकड़ा, कभी आगे निकलकर शॉट को नाकाम किया, तो कभी पीछे हटकर रिफ्लेक्स का कमाल दिखाया। सबसे अच्छी बात यह है कि, भारत के दिग्गज गोलकीपर के लिए अभी सफर खत्म नहीं हुआ है। श्रीजेश के प्रदर्शन ने उनको और भारत को पेरिस ओलंपिक में दो और मैच दिए हैं (सेमीफाइनल और फाइनल या कांस्य पदक मुकाबला)।
–आईएएनएस
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