कोलकाता, 5 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के विभाजन के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी की सराहना की।
मानसून सत्र के 11वें दिन सोमवार को विधानसभा में राज्य के विभाजन के मुद्दे के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया गया। इसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बहस में भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने विपक्षी भाजपा से पश्चिम बंगाल को विभाजित करने के प्रयासों के मुद्दे पर एकजुट होने की अपील की। उन्होंने इस संबंध में पेश प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए सदन में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की सराहना की।
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय द्वारा प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद इस विषय पर बहस शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष अधिकारी ने कहा कि भाजपा में किसी ने कभी पश्चिम बंगाल के विभाजन की बात नहीं की है। अधिकारी ने कहा, “प्रस्ताव में कुछ लोगों के बयानों की गलत व्याख्या की गई है।”
इसके बाद उन्होंने “अविभाजित पश्चिम बंगाल के विकास के लिए एकजुट दृष्टिकोण” का एक खंड शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया। इस पर विधानसभा स्पीकर बिमान बंदोपाध्याय ने विपक्ष के नेता से कहा कि वह अपना प्रस्ताव संशोधन के रूप में पेश कर सकते थे।
इसके बाद बोलने के लिए खड़ी हुईं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेता के प्रस्ताव को मूल प्रस्ताव में शामिल करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल एकजुट रहेगा। मैं राज्य के संसदीय कार्य मंत्री से अनुरोध करूंगी कि वह विपक्ष के नेता के प्रस्ताव को मूल प्रस्ताव में शामिल करें। मैं संघीय लोकतंत्र में विश्वास करती हूं। जिस तरह केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ सहयोग करेगी, उसी तरह राज्य सरकार भी सहयोग करेगी।”
बहस के अंत में सदन में मौजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राज्य विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस तरह का आपसी शिष्टाचार हाल के दिनों में दुर्लभ रहा है।
गौरतलब है कि झारखंड से भाजपा के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे द्वारा संसद में हाल ही में दिए गए एक बयान में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के दो जिलों मालदा और मुर्शिदाबाद को मिलाकर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। तृणमूल कांग्रेस ने इसकी तीखी आलोचना की थी। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल को विभाजित करने के प्रयासों के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाने का फैसला किया।
–आईएएनएस
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