नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।
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नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच आरोपियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल समीर महेंद्रू, कुलदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और मूथा गौतम द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नागपाल ने कहा कि कोर्ट 28 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
अदालत ने तीन जनवरी को उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत दी थी। अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिकाओं पर सीबीआई से जवाब भी मांगा था। सीबीआई ने विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली के साथ उपरोक्त आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
हालांकि, नायर और बोइनपल्ली को इसी अदालत ने पहले जमानत दे दी थी। कोर्ट ने सीबीआई द्वारा कुल सात आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी के खिलाफ समन जारी किया था।
नायर और बोइनपल्ली को दी गई जमानत को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति मामले में नायर, महेंद्रू और बोइनपल्ली की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
जबकि दो अन्य सरथ चंद्र रेड्डी और बिनॉय बाबू को जमानत से वंचित कर दिया गया था। नागपाल ने जमानत से इनकार करते हुए कहा था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध करने के लिए पांच व्यक्तियों द्वारा अपनाया गया तरीका पर्याप्त अभियोगात्मक साक्ष्य के लिए है।
अदालत ने कहा था कि यह भी संभव नहीं होगा कि आरोपी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की स्थिति में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। अदालत ने अब्जॉब्र्ड किया था कि तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता और उपरोक्त चर्चा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत की सुविचारित राय है कि कोई भी आवेदक/आरोपी इस मामले में कार्यवाही के इस चरण में जमानत पर रिहा होने के योग्य नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से सही हैं।