नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
ADVERTISEMENT
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि भले ही 2016 के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) का प्रारंभिक उद्देश्य पूरा नहीं हुआ हो, लेकिन पूरी नीति को अमान्य नहीं किया जा सकता। तीन बुराइयों – काले धन, नकली मुद्रा और आतंकी वित्तपोषण को जरासंध (महाभारत का एक पात्र) की तरह टुकड़ों में काटा जाना चाहिए।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटारमानी ने न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि अदालत को नकली मुद्रा, काले धन और आतंक के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए सरकार के प्रयासों को व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
एजी ने कहा कि सरकार तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए वचनबद्ध है।
वेंकटारामनी ने तीन समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा, हां, वे जरासंध की तरह हैं। आपको उन्हें टुकड़ों में काटना होगा। यदि आप नहीं करते हैं, तो वे हमेशा जीवित रहेंगे।
उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय से केंद्र और आरबीआई इन मुद्दों को देख रहे हैं।
एजी ने इस बात पर जोर दिया कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल होने वाली अधिसूचना एक कानून पर प्रहार करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आर्थिक नीति की न्यायिक समीक्षा के पहलू पर उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह निर्धारित कर सकती है कि क्या एक तर्कसंगत सांठगांठ है, जो वस्तु के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली वस्तु के साथ है और कोई भी अन्य परीक्षण विधानमंडल की स्वतंत्रता पर लागू होगा।
जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपाना, वी. रामसुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्न सरकार के विमुद्रीकरण निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं।
एजी ने कहा कि यहां तक कि पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य भी हैं कुछ ही पूरा होते हैं, लेकिन क्या लक्ष्य इस कारण से बुरा हो जाता है?
केंद्र ने कहा कि सरकार द्वारा और साथ ही आरबीआई द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानून के अनुरूप थी।
संभावना है कि शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रखेगी।