भोपाल, 18 फरवरी (आईएएनएस)। दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए 12 चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में छोड़ा गया है, जिससे केएनपी में बाघों की कुल संख्या 20 हो गई है।
इससे पहले नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर केएनपी में छोड़ा गया था।
भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान ने दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग में ओ.आर. टैम्बो इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी। इन चीतों को लेकर विमान सुबह करीब 10.30 बजे महाराजपुर एयर बेस पहुंचा और वहां से चीतों को हेलीकॉप्टर में कुनो पार्क ले जाया गया।
इस बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चीतों को क्वारंटाइन बोमा में छोड़ा।
चौहान ने चीतों को क्वारंटाइन बोमा में छोड़ने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाशिवरात्रि के अवसर पर मध्य प्रदेश को एक और बड़ी सौगात दी है।
उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश को महाशिवरात्रि के अवसर पर एक उपहार मिला है। मैं अपने दिल से पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं, यह उनकी दूरदृष्टि है। जो चीते पहले आए थे, उन्होंने केएनपी के वातावरण को बहुत अच्छी तरह से अपना लिया है।
चौहान ने कहा, महिला बिग कैट (पहले बैच की) में से एक के बीमार होने की सूचना मिली थी, लेकिन अब वह पूरी तरह से ठीक हो गई है।
इस बीच, मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि केएनपी में चीतों के आने से न केवल पर्यटन क्षेत्र को मदद मिलेगी, बल्कि वन्य जीवन के मामले में मध्य प्रदेश को विशेष महत्व मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पर्यटन में वृद्धि से मध्य प्रदेश में कूनो या अन्य क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए रोजगार का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
चौहान ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार चीता परियोजना का पूरा खाका तैयार कर रही है, जिसमें विभिन्न विकास और गतिविधियां शामिल होंगी।
उन्होंने कहा, हम एक विस्तृत चीता परियोजना तैयार कर रहे हैं। एक बार जब केएनपी पर्यटन के लिए खुल जाएगा, तो विभिन्न चीजें की जाएंगी जो राज्य और यहां रहने वाले लोगों को आर्थिक विकास देंगी।
दक्षिण अफ्रीका और भारतीय सरकारों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) के आधार पर चीता पुन: उत्पादन परियोजना के हिस्से के रूप में चीतों को भारत लाया जा रहा है।
समझौता ज्ञापन भारत में व्यवहार्य और सुरक्षित चीता आबादी स्थापित करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, संरक्षण को बढ़ावा देता है और सुनिश्चित करता है कि विशेषज्ञता साझा और आदान-प्रदान की जाती है, और चीता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए क्षमता का निर्माण किया जाता है।
इसमें मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान, वन्यजीवों का कब्जा और स्थानांतरण और दोनों देशों में संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी शामिल है।
–आईएएनएस
एसजीके/एएनएम