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Home ताज़ा समाचार

गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को मनरेगा पर बहस करने की चुनौती दी

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February 18, 2023
in ताज़ा समाचार
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गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी को मनरेगा पर बहस करने की चुनौती दी
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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

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सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को मनरेगा पर 2004-14 के यूपीए शासन के दौरान धन आवंटन व संपत्ति निर्माण और नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल में हुए काम पर बहस करने की चुनौती दी।

गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

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गिरिराज सिंह ने एक कार्यक्रम के इतर, मनरेगा के बजट को कम करने के लिए एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी के फेसबुक पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कांग्रेस नेता को इस तरह के बेतुके आरोप लगाने से पहले अपने तथ्यों और आंकड़ों को ठीक करना चाहिए।

सिंह ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, मनरेगा का बीई (बजट अनुमान) कभी भी 33,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हुआ और अधिकांश वित्तीय वर्षो में ग्रामीण रोजगार योजना के खराब कार्यान्वयन के कारण धन वापस कर दिया गया।

सिंह ने कहा, लेकिन मई, 2014 से, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, हर साल बीई आरई (संशोधित अनुमान) से अधिक हो गया।

मंत्री ने बताया कि इस साल भी, 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान पहले ही 89,400 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू चुका है, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25,000 करोड़ रुपये की मांग में से 16,000 करोड़ रुपये राज्यों के बकाये के संचय के कारण प्राप्त हुए हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2019-20 में बीई 60,000 करोड़ रुपये था और आरई 71,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2020-21 में 61,500 करोड़ रुपये का बीई बढ़कर 1,11,500 करोड़ रुपये हो गया। कोविड महामारी के मद्देनजर और काम की बढ़ती मांग के मद्देनजर शहरों से गांवों की ओर ग्रामीण आबादी के रिवर्स माइग्रेशन के कारण प्रारंभिक आवंटन के दोगुने से थोड़ा कम।

इसी तरह, वित्तवर्ष 2021-2022 में 73,000 करोड़ रुपये का बजट अनुमान संशोधित अनुमान में 99,117 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

सिंह ने ग्रामीण रोजगार योजना के तहत यूपीए शासन के दौरान संपत्ति निर्माण की जांच करने के लिए राहुल गांधी को भी चुनौती दी, जो उन्होंने कहा कि यह केवल 17 प्रतिशत था, जबकि मोदी शासन के पिछले नौ वर्षो में संपत्ति निर्माण पहले ही 60 प्रतिशत को पार कर चुका है।

मंत्री ने मनरेगा को नया रूप देने और इसके लिए शासनादेश जारी करने के लिए नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया।

राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर मनरेगा का बजट कम करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ग्रामीण रोजगार योजना, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव है, केंद्र की दमनकारी नीतियों का शिकार हो रही है।

राहुल गांधी के यह आरोप लगाने पर कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत आधार को योजना से जोड़कर गरीबों के खिलाफ उसका दुरुपयोग कर रही है, सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य योजना के कार्यान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाना है।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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