नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)। ‘लैटरल एंट्री’ को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने इस कदम से दलितों के हितों पर कुठाराघात करना चाहती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर इस संबंध में पोस्ट किया। इसमें उन्होंने कहा, “लैटरल एंट्री दलित, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। भाजपा का राम राज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है।”
यूं तो कांग्रेस नेता शुरू से ही दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ‘लैटरल एंट्री’ को लेकर हंगामा बरप रहा है, जिसे लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। इस पर कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी दल इसे संविधान पर कुठाराघात करार दे रहे हैं। आइए, जरा आगे समझते हैं कि आखिर लैटरल एंट्री है क्या?
दरअसल, मुख्तलिफ मंत्रालयों में सचिव, उपसचिव सहित अन्य पदों पर अधिकारियों की भर्ती यूपीएससी एग्जाम से होती है। इसे देश की सर्वाधिक कठिन परीक्षा माना जाता है। जिसमें सफल होना निसंदेह किसी भी परीक्षार्थी के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। इस परीक्षा का आयोजन प्रतिवर्ष होता है। इसमें लाखों विद्यार्थी कई वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद हिस्सा लेने की हिम्मत जुटा पाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इस बात की गारंटी नहीं होती कि वो इस परीक्षा में सफल हो पाएंगे या नहीं। यह परीक्षा मूल रूप से तीन चरणों में होती है। पहला प्रीलिम्स, दूसरा मेन्स और तीसरा साक्षात्कार। इन चरणों के गुजरने के बाद परीक्षार्थियों को किसी भी मंत्रालय में विधिवत रूप से अपने कार्यों का निर्वहन करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद वे इस पद का निर्वहन करने में सक्षम हो पाते हैं। वहीं, कई वर्षों तक किसी निश्चित मंत्रालय में कार्यरत रहने के बाद उन्हें सचिव या उपसचिव सरीखे पदों की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिलता है, लेकिन अब केंद्र सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था विकसित करने का फैसला किया है, जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति बिना यूपीएससी की परीक्षा दिए ही इन पदों की जिम्मेदारी संभालने में सक्षम हो पाएगा। केंद्र सरकार की इसी व्यवस्था को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है।
बता दें कि इस व्यवस्था का नाम ‘लैटरल एंट्री’ है, जिसमें कोई भी उम्मीदवार सचिव, संयुक्त सचिव और निदेशक सरीखे पदों की जिम्मेदारी संभाल सकता है। ब्यूरोक्रेसी को नई गति प्रदान करने के लिए इस व्यवस्था की परिकल्पना विकसित की गई है। केंद्र सरकार ने सबसे पहले 2018 में इस व्यवस्था को विकसित करने का फैसला किया था, जिसके अंतर्गत कोई भी उम्मीदवार लैटरल एंट्री के जरिए इन पदों की जिम्मेदारी संभाल सकता है। अब इतने सालों के गुजरने के बाद इस व्यवस्था में विस्तार देखने को मिल रहा है, जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर अपनी बात रखी। उनका कहना है कि अगर केंद्र सरकार इस व्यवस्था को जमीन पर उतारती है, तो इससे दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समुदाय के लोगों के हितों पर कुठाराघात होगा। उनके लिए ऐसे वरिष्ठ पदों पर पहुंचने के बाद मार्ग दूभर होंगे। ऐसे इन मार्गों को दूभर होने से रोकने के लिए ऐसी व्यवस्था को जमीन पर उतारे जाने से रोका जाए।
–आईएएनएस
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