नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। यूपीएससी में ‘लेटरल एंट्री’ को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच केंद्र सरकार ने विज्ञापन पर रोक लगा दी। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस संबंध में यूपीएससी के चेयरमैन को पत्र लिखा।
पत्र में कहा गया है कि लेटरल एंट्री के आधार पर निकाली गई भर्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है, जिसे ध्यान में रखते हुए इसे वापस लिया जाए।
विपक्ष इस मामले पर सरकार का विरोध करते हुए उसे एससी, एसटी और ओबीसी के खिलाफ बताते हुए संविधान विरोधी बता रही थी। ऐसे में अब सरकार की ओर से जब स्पष्ट कर दिया गया है कि लेटरल एंट्री के फैसले पर रोक क्यों लगाई गई है तो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता इस बात को लेकर सरकार पर हमलावर हैं कि उन्होंने मिलकर सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
मुंबई प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हितेश जैन ने लेटरल एंट्री के फैसले को लेकर विपक्ष पर पलटवार किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट किए।
हितेश जैन ने कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए एक्स पोस्ट में लिखा, ”कांग्रेस का एससी, एसटी और ओबीसी के साथ भेदभाव करने का लंबा इतिहास रहा है- जामिया और एएमयू जैसे संस्थानों में आरक्षण देने से इनकार करने से लेकर अब लेटरल एंट्री के बारे में झूठ फैलाने तक। अब समय आ गया है कि उनके दोगलेपन और उनके सफेद झूठ को उजागर किया जाए। अब समय आ गया है कि दोहरी बातें बंद की जाए और जो मायने रखता है उस पर ध्यान केंद्रित किया जाए: एक ऐसी नौकरशाही का निर्माण किया जाए, जो निष्पक्ष, समावेशी और भारत की विविधता का सही मायने में प्रतिनिधित्व करती हो।”
दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा, ”सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री के मुद्दे को संबोधित करने वाला यह पत्र सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जरूरी है कि ऐसी कोई भी प्रक्रिया समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप हो और हाशिए पर पड़े समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो। जब सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री की बात आती है, तो इसमें कपट के लिए कोई जगह नहीं होती। या तो हम सामाजिक न्याय के लिए दृढ़ता से खड़े हैं, या फिर हम सिर्फ़ दिखावटी बातें कर रहे हैं। यह पत्र एक स्पष्ट रुख अपनाता है – यह अपनी बात पर अमल करने के बारे में है।”
हितेश जैन ने आगे लिखा, ”नौकरशाही में लेटरल एंट्री की शुरुआत किसने की? कांग्रेस ने, 1972 में डॉ. मनमोहन सिंह के साथ इसकी शुरुआत किसने की? कांग्रेस ने, लेटरल एंट्री में आरक्षण से किसने इनकार किया? फिर से कांग्रेस ने, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और अन्य को सामाजिक न्याय की अनदेखी करते हुए पिछले दरवाजे से कौन लाया? कांग्रेस, पारदर्शिता को कम करते हुए एनएसी के माध्यम से समानांतर सरकार किसने चलाई? सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने, अब लेटरल एंट्री में आरक्षण और सामाजिक न्याय की परवाह करने का दिखावा कौन कर रहा है? वही कांग्रेस, लेकिन, यह बात स्पष्ट कर दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लेटरल एंट्री पारदर्शी, निष्पक्ष और समावेशी है – कांग्रेस द्वारा अपनाए गए पक्षपात के विपरीत है।”
उन्होंने कहा कि यूपीएससी को आज पत्र लिखा गया, जिसमें मांग की गई है कि वर्तमान में चल रही लेटरल एंट्री प्रक्रिया को तब तक रद्द किया जाए जब तक कि यह पूरी तरह से समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप न हो जाए, यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लेटरल एंट्री को समावेशी बनाया जा रहा है, जिसमें पारदर्शी प्रक्रिया के तहत सभी को शामिल किया जा रहा है – एससी, एसटी और ओबीसी। कांग्रेस का नकली आक्रोश उनकी अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए एक पर्दा मात्र है।
–आईएएनएस
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