शिमला, 21 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश में 1 सितंबर से पशु गणना की जाएगी। इसकी तैयारियों के लिए शिमला में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि सही गणना करने पर बल दिया जाएगा।
कार्यशाला में विभाग के कर्मचारियों को गणना के संबंध में जानकारी दी गई। हर पांच साल बाद पशुधन की गणना की जाती है। इस बार पशु गणना में डिजिटल क्रांति का भी अहम रोल रहेगा। कार्यशाला में कृषि मंत्री चंद्र कुमार मुख्य अतिथि के रुप में शरीक हुए।
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि 2019 की गणना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में 44 लाख पशु थे, जिनमें 25 लाख गायें और 19 लाख भेड़-बकरियां थीं। उम्मीद है कि इस बार यह संख्या और बढ़ेगी। हिमाचल एक कृषि प्रधान राज्य है, इसके बाद भी यह उपेक्षित है। प्रदेश में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं पशुओं की देखभाल करती हैं। उन्होंने कहा कि गणना महज औपचारिकता नहीं, बल्कि सही आंकड़ों के साथ होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस गणना के माध्यम से हमें पता चलेगा कि हमारे पास कितने पशु हैं, कितने दूध देने वाले पशु हैं, कितने मांस देने वाले पशु हैं, और लोगों की आय कितनी है। इस गणना से हमें सटीक आंकड़े मिलेंगे, जिससे हम आगे की योजनाओं और नीतियों को तैयार कर सकेंगे। हम हर घर और गौशाला में जाकर गणना की प्रक्रिया की जांच करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आंकड़े सही हैं। इस गणना से हमें यह जानकारी मिलेगी कि हम कितना दूध और मांस पैदा कर सकते हैं और लोगों की आय कितनी बढ़ सकती है।
कृषि मंत्री कुमार ने कहा कि पशुधन गणना में विभिन्न प्रकार के पशुओं को शामिल किया जाएगा, जिनमें मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे, ऊंट और मुर्गी पालन सहित अन्य पशुधन शामिल होंगे। इसके अलावा, स्वदेशी और विदेशी नस्लों के आधार पर आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। यह गणना हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों के राजस्व ग्रामों में सुनिश्चित की जाएगी, ताकि प्रदेश के पशुधन का सटीक आंकड़ा प्राप्त किया जा सके।
–आईएएनएस
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