नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। नई पीढ़ी के अंदर जिंदगी जीने के नजरिए में काफी बदलाव आया है। युवा अब ‘पीपल प्लीजर नहीं बल्कि ‘सेल्फ प्लीजर’ होने में यकीन रख रहे हैं। ऐसे लोग जो दूसरों की खुशी से पहले अपनी खुशी और कंफर्ट को महत्व देते हैं। दयालु और दूसरों के लिए मददगार होना अच्छी बात है, लेकिन खुद को खुश रखना भी बेहद जरूरी है।
खुद को खुश रखने के लिए हमारे लिए अपने पैशन को फॉलो करना बेहद जरूरी है। अपनी रुचि की चीजों को करने से स्ट्रेस और एंजाइटी जैसी समस्याओं से राहत मिलती है ऐसा एक्सपर्ट्स कहते हैं। माना जाता है कि खुद को प्लीज करने से आतंरिक खुशी मिलती है और अपनी स्किल्स को और भी बेहतर बनाने में मदद भी। कई तरीके से आप खुद को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए कोई गेम, म्यूजिक, एडवेंचर एक्टिविटी, बुक रीडिंग जैसे चीजों को शामिल कर सकते हैं।
सेल्फ प्लीजर का मतलब ये कतई नहीं है कि आप दूसरों को इग्नोर करें बल्कि सीधा-सपाट- सच्चा मतलब ये है कि खुद को खुश रखने का गुर सिखलेंगे तो पॉजिटिविटी का संचार होगा और दूसरों को भी नहीं खटकेंगे। वैसे इस अभूतपूर्व अहसास के लिए पसंदीदा लोगों के साथ समय बिताना भी बहुत जरूरी है। आप भले ही व्यस्त हों, लेकिन खुद की खुशी के लिए उन लोगों के साथ बैठकर एक कप चाय या कॉफी का आनंद जरूर उठाएं जो सकारात्मक एहसास कराकर आपकी प्राथमिकताओं को महत्व दें। उनकी समस्याओं को शेयर करने से आप खुद को काफी हल्का महसूस कर सकते हैं। आखिर ये सेल्फ प्लीजर बनाम पीपल प्लीजर आखिर होता क्या है?
आज का युवा ‘सेल्फ प्लीजर’ की अहमियत समझता है। पहले लोग ‘पीपल प्लीजर’ की बात करते थे। ‘पीपल प्लीजर’ उन्हें कहते हैं जो दूसरों की जरूरतों को अपनी जरूरतों से पहले रखते है। अक्सर वो दूसरों को खुश रखने के चक्कर में अपनी खुशी का ध्यान रखना भूल जाते हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में उनके पास खुद के लिए समय नहीं होता है। दूसरों की उम्मीदों और खुशियों के लिए वो अपना जीवन यूं ही गुजार देते हैं। इस दशा को साइकलॉजिस्ट सोशियोट्रॉपी भी कहते हैं।
पीपल प्लीजर वो होते हैं जो बचपन से वयस्क होने की यात्रा में हम अपनी जिम्मेदारियों में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि अपनी खुशियों को दरकिनार कर देते हैं और दूसरों को खुश करने में ही जिंदगी तमाम कर देते हैं।
—आईएएनएस
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